क्या बरेली में मुस्लिमों के घरों पर बुलडोजर चलाना एक साजिश है?

सारांश
Key Takeaways
- बुलडोजर कार्रवाई को एकतरफा माना जा रहा है।
- सरकार पर सामाजिक बंटवारे का आरोप।
- कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।
- आर्थिक स्थिति पर चिंताएं बढ़ रही हैं।
- महंगाई और किसानों की समस्याएं गंभीर हैं।
रायबरेली, ५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय जनता पार्टी (एजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने बरेली हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला किया है।
उन्होंने बरेली में मुस्लिमों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण एवं एकतरफा बताते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश का हिस्सा कहा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम, मस्जिद-मंदिर जैसे मुद्दों को जानबूझकर जिंदा रखा जा रहा है ताकि सरकार अपनी नाकामियों से ध्यान हटा सके। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि पुलिस आम नागरिकों को परेशान करने में व्यस्त है। उत्तर प्रदेश में अपराध अपने चरम पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक विशेष वर्ग को संरक्षण दे रही है, जिससे समाज में धर्म और जाति के नाम पर बंटवारा बढ़ रहा है। बरेली की घटना इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां प्रशासन ने निष्पक्षता के बजाय राजनीतिक दबाव में कार्रवाई की।
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर हुए हमले का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि जाति विशेष के लोगों ने रामजीलाल सुमन के घर पर हमला किया, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या बुलडोजर केवल एक वर्ग के लिए है?
उन्होंने फतेहपुर और बहराइच की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वहां हिंदू संगठनों ने खुलेआम उत्पात मचाया, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और दंगे जैसी स्थिति पैदा की, लेकिन वहां बुलडोजर नहीं चला। उनका मानना है कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए और अपराधियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर सरकार ने एकतरफा रवैया नहीं छोड़ा तो जनता इसका जवाब देगी।
मौर्य ने पूछा, “बरेली में मुस्लिमों के घरों पर बुलडोजर चलाना कहां तक जायज है, जब अन्य घटनाओं में ऐसी कार्रवाई नहीं की गई?”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने १.४ अरब की आबादी में से ८० करोड़ लोगों को ५-१० किलो चावल के लिए संघर्ष करने को मजबूर कर दिया है। महंगाई आसमान छू रही है, किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा और आम जनता का जीवन दयनीय हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में अव्यवस्था फैल रही है। समाज को बांटकर और धार्मिक मुद्दों को हवा देकर यह सरकार अपनी विफलताएं छिपाने की कोशिश कर रही है।