क्या भगवान बिरसा मुंडा भारत की स्वाधीनता के पक्षधर थे? : सीएम योगी
सारांश
Key Takeaways
- भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष भारत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण था।
- सीएम योगी ने जनजातियों के लिए विकास योजनाएँ घोषित की हैं।
- जनजाति गौरव पखवाड़ा १ से १५ नवंबर तक मनाया जाता है।
- सरकार ने जनजातीय समुदाय को मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया है।
- अभियान का उद्देश्य जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
लखनऊ, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा भारत की स्वाधीनता के लिए एक प्रबल समर्थक थे। उन्होंने इसके लिए एक व्यापक अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। केवल २५ वर्ष की आयु में, उन्होंने रांची की जेल में अंतिम सांस ली।
उन्होंने जनजातीय समुदाय को नारा दिया कि 'अपना देश-अपना राज।' उनका मानना था कि यदि देश हमारा है, तो शासन भी हमारा होना चाहिए, और विदेशी हुकूमत का भारत में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने धरती आबा को श्रद्धांजलि देते हुए १५ नवंबर को जनजाति दिवस के रूप में मनाने की प्रेरणा दी।
सीएम योगी ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में गुरुवार को ढोल-नगाड़ों की थाप से जनजाति भागीदारी उत्सव की शुरुआत की। उन्होंने यहाँ प्रदर्शनी का अवलोकन किया और बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के जनजातीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति भी दी।
सीएम योगी ने इस वर्ष की विशेषता पर बात करते हुए इसे महत्वपूर्ण बताया और कहा कि १ से १५ नवंबर के बीच देश में जनजाति गौरव पखवाड़ा मनाया जा रहा है। सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय को समाज व राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक समागम में २२ राज्यों के कलाकारों को जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। अरुणाचल प्रदेश इस कार्यक्रम का पार्टनर स्टेट है। अन्य राज्यों के कलाकार भी जनजाति भागीदारी उत्सव का हिस्सा बन रहे हैं। यहाँ पर हस्तशिल्प व कला प्रदर्शनी, व्यंजन मेला और जनजाति साहित्य को समर्पित साहित्यिक मंच भी है।
सीएम ने जनजातीय समुदाय की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि यूपी में जनजातियों की आबादी कम है। पहले सरकारी नौकरी के विज्ञापनों में अनुसूचित जाति की सीटें भी पूरी नहीं भरी जाती थीं। हाल ही में ६०,२४४ पुलिस की भर्ती की गई, जिसमें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें भरी गईं। यह दिखाता है कि उनके शिक्षा का स्तर बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सुनिश्चित किया है कि उत्तर प्रदेश में जितनी भी जनजातियाँ हैं, उन्हें अधिकार मिले और उन्हें सेचुरेशन के लक्ष्य तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। थारू, मुसहर, चेरो, बुक्सा, सहरिया, कोल, गौड़ आदि जनजातियों को शासन की सभी योजनाओं से आच्छादित करने के लिए सरकार ने मिशन मोड पर अभियान चलाया है।
सीएम ने बताया कि पीएम जनमन योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान के माध्यम से अनेक कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। बिजनौर में बुक्सा जनजाति को सूची में श्रेणीबद्ध किया गया है, जिसके अंतर्गत ८१५ परिवारों को आवास, विद्युतीकरण, पेयजल, मोबाइल मेडिकल यूनिट और अन्य सुविधाएँ मुहैया कराई गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जितनी भी अनुसूचित जनजाति की बस्तियाँ हैं, उन्हें धरतीआबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत सभी सुविधाओं से आच्छादित किया जा रहा है। २६ जनपदों के ४७ ब्लॉक और ५१७ ग्रामों को चिह्नित किया गया है। जनजातीय बाहुल्य ५१७ गांवों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया गया है।