क्या सीमा पर शांति ही भारत-चीन संबंधों की कुंजी है? : जयशंकर

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क्या सीमा पर शांति ही भारत-चीन संबंधों की कुंजी है? : जयशंकर

सारांश

भारत-चीन संबंधों में सीमा पर शांति और स्थिरता की अहमियत को समझते हुए, विदेश मंत्री जयशंकर ने तनाव कम करने के उपायों पर जोर दिया है। क्या यह दोनों देशों के बीच सहयोग की नई राह खोलेगा?

Key Takeaways

  • सीमा पर शांति और स्थिरता आवश्यक हैं।
  • द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है।
  • आतंकवाद से लड़ना एक प्राथमिकता है।
  • परस्पर सम्मान और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
  • संभवतः एससीओ शिखर सम्मेलन में सकारात्मक नतीजे आएंगे।

नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन संबंधों में किसी भी सकारात्मक प्रगति का आधार सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता पर टिका हुआ है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि सीमा पर तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई बैठक में जयशंकर ने कहा, “आप हमारे विशेष प्रतिनिधि और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति का आधार सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता है। साथ ही, तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना भी आवश्यक है।”

चीनी विदेश मंत्री वांग यी के नई दिल्ली आगमन के कुछ ही समय बाद यह बैठक हुई, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

जयशंकर ने कहा कि जब दुनिया के दो सबसे बड़े देश मिलते हैं तो अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर चर्चा होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, “हम एक न्यायसंगत, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें बहुध्रुवीय एशिया भी शामिल हो। सुधारित बहुपक्षवाद की आज आवश्यकता है। मौजूदा परिस्थितियों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखना और उसे बढ़ाना भी जरूरी है। आतंकवाद से हर रूप में लड़ना भी एक प्रमुख प्राथमिकता है।”

उन्होंने बताया कि बैठक से दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और वैश्विक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिलेगा। चर्चाओं में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों, तीर्थ यात्राओं, जन-से-जन संपर्क, नदी डेटा साझा करने, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय आदान-प्रदान जैसे विषय शामिल रहेंगे।

जयशंकर ने कहा, “हमारे संबंधों ने कठिन दौर देखा है। अब हमें आगे बढ़ना है, जिसके लिए दोनों पक्षों से स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण जरूरी है। हमें तीन ‘म्यूचुअल्स’ यानी परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हितों द्वारा मार्गदर्शित होना चाहिए। मतभेद विवाद न बनें और प्रतिस्पर्धा संघर्ष में न बदलें।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मौजूदा अध्यक्षता के दौरान चीन के साथ निकटता से काम किया है। 31 अगस्त से 1 सितंबर को तियानजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए जयशंकर ने वांग यी को शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन “मजबूत नतीजों और निर्णयों” वाला होगा।

जयशंकर ने कहा, “कुल मिलाकर, हमारी यह उम्मीद है कि आज की चर्चाएं भारत और चीन के बीच स्थिर, सहयोगात्मक और भविष्य की ओर देखने वाले रिश्तों को बनाने में योगदान देंगी, जो दोनों देशों के हितों की पूर्ति करेंगी और हमारी चिंताओं का समाधान करेंगी।”

Point of View

सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह न केवल भारत-चीन संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी बढ़ाएगा। हमें अपने राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ वैश्विक स्थिरता का ध्यान रखना चाहिए।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत-चीन संबंधों में शांति का क्या महत्व है?
शांति बनाए रखना भारत-चीन संबंधों की प्रगति के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह तनाव को कम करने और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करता है।
जयशंकर ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए क्या सुझाव दिए?
जयशंकर ने परस्पर संवेदनशीलता और सम्मान के आधार पर आगे बढ़ने की आवश्यकता को बताया है।
भारत और चीन के बीच क्या चर्चाएँ हुईं?
चर्चाओं में आर्थिक, व्यापारिक मुद्दों के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल था।