क्या फ्रांसीसी सेना प्रमुख और जनरल द्विवेदी की मुलाकात से भारत-फ्रांस संबंधों को नई दिशा मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रक्षा सहयोग
- संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों का विस्तार
- आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा
- रक्षा प्रौद्योगिकी में साझेदारी
- वैश्विक शांति के लिए संयुक्त प्रयास
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों का सम्मेलन (यूएनटीसीसी) 2025 नई दिल्ली में होने वाला है। सम्मेलन से पहले, सोमवार को भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष, फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल के साथ मुलाकात की।
फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल ने सोमवार को नई दिल्ली के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज का दौरा किया, जहां उन्होंने सैन्य प्रतिभागियों के साथ महत्वपूर्ण संवाद किया। यह मुलाकात भारत और फ्रांस के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत सामरिक एवं रक्षा साझेदारी संबंधों को और मजबूत बनाने के संकल्प को स्पष्ट करती है।
बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों के दायरे को बढ़ाने, आतंकवाद विरोधी सहयोग को प्रभावी बनाने और रक्षा प्रौद्योगिकी में साझेदारी को गहराई देने पर चर्चा की। जनरल द्विवेदी और जनरल शिल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस बातचीत ने भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों को एक नई दिशा दी है और भविष्य में रणनीतिक सहयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और प्रशिक्षण साझेदारी के नए अवसरों के द्वार खोलने का मार्ग प्रशस्त किया है। जनरल पियरे शिल ने एनडीसी के 65वें कोर्स के प्रतिभागियों को संबोधित किया और उनके साथ संवाद किया।
उनकी इस यात्रा का उद्देश्य वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व स्तर पर संवाद को बढ़ाना, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की जानकारी प्राप्त करना और श्रेष्ठ अनुभवों और कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान करना था।
यूएनटीसीसी 2025 इस बार भारत में आयोजित हो रहा है। 14 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली में होने वाले इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेज़बानी भारतीय सेना कर रही है।
भारतीय सेना के अनुसार, इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विश्व के 32 से अधिक देशों के सेना प्रमुख और उच्च सैन्य अधिकारी भाग लेंगे। सम्मेलन का उद्देश्य बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों से जुड़ी नई चुनौतियों पर विचार करना है।