भारत-ईरान द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श: क्या भारत ने ईरान से तेल आयात पर जोर दिया?

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भारत-ईरान द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श: क्या भारत ने ईरान से तेल आयात पर जोर दिया?

सारांश

भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श में तेल आयात और कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया। यह बैठक 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की गई।

Key Takeaways

  • द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श का आयोजन
  • 75वीं वर्षगांठ का उत्सव
  • आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग की दिशा में कदम
  • ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा
  • आतंकवाद और साइबर सुरक्षा पर संयुक्त प्रयास

नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और ईरान के बीच वार्षिक द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श की बैठक 8 सितंबर 2025 को तेहरान में आयोजित की गई। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुई।

भारत और ईरान के बीच आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के संयुक्त सचिव (पीएआई) आनंद प्रकाश और ईरान के विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशिया प्रभाग के महानिदेशक मोहम्मद रेजा बहरामी ने की।

बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने 1950 में स्थापित राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को याद किया। उन्होंने आपसी हितों के अनुरूप संबंधों को और विकसित और प्रगाढ़ बनाने की अपनी तत्परता पर बल दिया।

परामर्श में द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण पहलुओं की गहन समीक्षा की गई। कनेक्टिविटी के क्षेत्र में विशेष जोर दिया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) प्रमुख रहा।

आईएनएसटीसी, जो भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से यूरोप और रूस से जोड़ता है, क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने में सक्षम है।

दोनों पक्षों ने आर्थिक, वित्तीय, व्यापार और वाणिज्यिक मामलों पर चर्चा की, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, निवेश और आपूर्ति शृंखलाओं का विस्तार शामिल था।

ईरान ने चाबहार बंदरगाह के विकास में भारत की भूमिका की सराहना की, जबकि भारत ने ईरानी तेल आयात और तकनीकी सहयोग पर जोर दिया। इसके अलावा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्रों में नई पहलों पर विचार-विमर्श हुआ। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

अफगानिस्तान, मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी सहमति बनी। संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय संगठनों, जैसे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ईरान के साथ भारत की भागीदारी को मजबूत करने पर बल दिया गया।

दोनों देशों ने आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

बैठक में वार्षिक राजनीतिक परामर्श के नियमित आयोजन पर संतोष व्यक्त किया गया। अगला दौर 2026 में नई दिल्ली में आयोजित होगा, जो संबंधों को संस्थागत बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है। विदेश मंत्रालय के अनुसार ये परामर्श भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' और 'एक्ट वेस्ट' नीतियों को मजबूत करेंगे।

Point of View

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत और ईरान के बीच की बैठक में क्या चर्चा हुई?
बैठक में द्विपक्षीय संबंधों, ऊर्जा सुरक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा हुई।
आईएनएसटीसी का क्या महत्व है?
आईएनएसटीसी भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से यूरोप और रूस से जोड़ता है, जो व्यापार में वृद्धि का कारण बनता है।
इस बैठक का अगला चरण कब होगा?
अगला दौर 2026 में नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।