क्या चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन 1.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच पाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- रक्षा उत्पादन का लक्ष्य: 1.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचना।
- आत्मनिर्भरता: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम।
- निजी क्षेत्र की भूमिका: रक्षा उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान।
- नई कंपनियों का गठन: दक्षता और स्वायत्तता में सुधार।
- ग्लोबल निर्यात: 100 से अधिक देशों को निर्यात।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक का सबसे ऊँचा 1.54 लाख करोड़ रुपए का रक्षा उत्पादन किया गया है। भारत का चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन को 1.75 लाख करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रही है। इसके साथ ही, सरकार ने 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, जिससे देश खुद को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकेगा।
केंद्र सरकार के अनुसार, यह आत्मनिर्भर भारत की शक्ति का प्रतीक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 500 करोड़ रुपए के विशेष कोष को डीप-टेक और अत्याधुनिक परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मंजूरी दी है। यह कदम शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा दे रहा है और रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बना रहा है।
आयुध कारखानों का पुनर्गठन और सात नई रक्षा कंपनियों का गठन, कार्यात्मक स्वायत्तता बढ़ाने, दक्षता सुधारने और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। निजी क्षेत्र रक्षा उद्योग में ड्रोन, एवियोनिक्स और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, लगभग 16,000 एमएसएमई देश के रक्षा नवाचार परिदृश्य में गेम-चेंजर के रूप में उभर रहे हैं। मंत्रालय ने 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है। इन गतिविधियों का उद्देश्य सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयारी करने वाले बल में बदलना है।
भारत का स्वदेशी रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1,27,434 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो वर्ष 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत नीति और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली सशक्त नीतियों का परिणाम मानी जा रही है। वर्तमान में भारत अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है।
कुल रक्षा उत्पादन में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान लगभग 77 प्रतिशत है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले दशक में शुरू किए गए नीतिगत सुधारों ने भारत के रक्षा क्षेत्र को अनेक संरचनात्मक चुनौतियों से उबारा है।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 एक परिवर्तनकारी नीतिगत ढांचा है। यह नीति देरी और आयात पर निर्भरता जैसी पुरानी चुनौतियों को दूर करने हेतु तैयार की गई है।
रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2025 में डीएपी ढांचे के आधार पर शुरू किया था। यह प्रक्रियाओं को सरल बनाने और कार्यप्रणाली में एकरूपता स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
हालांकि, व्यापार सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य से सभी सशस्त्र बलों एवं रक्षा मंत्रालय के संगठनों में प्रक्रियाओं का मानकीकरण किया गया है। रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने हाल के वर्षों में रिकॉर्ड मात्रा में स्वदेशी खरीद को मंजूरी दी है।