क्या भारत के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है? संप्रभुता से समझौता नहीं होगा: सरबजीत सिंह शेंटी

सारांश
Key Takeaways
- भारत की विदेश नीति बाहरी दबाव से मुक्त है।
- रूस के साथ संबंध मजबूत बने हुए हैं।
- भारत शांति का पक्षधर है।
- राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।
- भारत वैश्विक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बन रहा है।
अमृतसर, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक राजनीति की वर्तमान परिस्थितियों में, भारत की विदेश नीति और रणनीतिक स्थिति पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। इसी क्रम में, अमृतसर के भाजपा वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरबजीत सिंह शेंटी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत किसी भी देश के दबाव में युद्ध नहीं रोकता और न ही इसकी विदेश नीति बाहरी ताकतों के इशारों पर चलती है।
उनका यह वक्तव्य सीधे तौर पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों का प्रत्युत्तर था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका था। भाजपा नेता के अनुसार, भारत शांति का पक्षधर है, परंतु आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता।
सरबजीत सिंह शेंटी ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि भारत के रूस, अमेरिका और चीन के साथ संबंध संतुलित और रणनीतिक हैं। रूस के साथ पुराने रिश्ते मजबूत बने हुए हैं और व्यापार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है। अमेरिका के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारत ने अपनी स्वायत्त विदेश नीति को बनाए रखा है। चीन के साथ भी भारत व्यापार कर रहा है, परंतु राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक शक्ति संतुलन में एक निर्णायक खिलाड़ी बन चुका है।
वहीं, भाजपा युवा मोर्चा के जिला महासचिव माधव शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि भारत को किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष यूक्रेन युद्ध के दौरान चार बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वार्ता के लिए बुलाया गया, जो भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख का प्रमाण है।
पाकिस्तान के संदर्भ में भाजपा नेताओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो पहले की तरह कड़ा जवाब देगा। केंद्र सरकार के प्रयास भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रहे हैं बल्कि उसे विश्व मंच पर निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं।