क्या भारत की असली खूबसूरती और ताकत धर्मनिरपेक्षता है? : मौलाना रजवी

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क्या भारत की असली खूबसूरती और ताकत धर्मनिरपेक्षता है? : मौलाना रजवी

सारांश

क्या भारत की असली ताकत धर्मनिरपेक्षता है? मौलाना रजवी ने समाज की एकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत कभी भी धार्मिक पहचान में नहीं बंट सकता। जानिए क्यों यह जरूरी है!

Key Takeaways

  • भारत का संविधान बहु-धार्मिकता को महत्व देता है।
  • धर्मनिरपेक्षता हमारी असली ताकत है।
  • सांप्रदायिक बयानबाजी से बचना चाहिए।
  • हर नागरिक को समान अधिकार मिलते हैं।
  • धार्मिक शिक्षा जरूरी है।

बरेली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने स्पष्ट किया कि भारत कभी भी हिंदू राष्ट्र या इस्लामिक राष्ट्र में परिवर्तित नहीं हो सकता। ऐसे बयान और घोषणाएं समाज की एकता के लिए हानिकारक हैं। यह देश एक संविधान के तहत बहु-धार्मिक, लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था पर टिका है। यही हमारी असली ताकत और खूबसूरती है।

मौलाना रजवी ने उन लोगों की आलोचना की जो सार्वजनिक रूप से भारत को किसी एक धार्मिक पहचान में सीमित करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे वे मुसलमानों के कट्टरपंथी हों या स्वयंघोषित साधु-संत—भारत का लोकतांत्रिक राज्य और संविधान हर नागरिक को समान अधिकार प्रदान करता है। मुस्लिम शासनकाल, ब्रिटिश काल या 1947 के बाद का स्वतंत्र भारत, सभी ऐतिहासिक कालों में यह देश संविधान के दायरे में संचालित हुआ है और यही इसकी मजबूती है।

मौलाना ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सांप्रदायिक बयानबाजी इस प्रयास को कमजोर कर रही है। किसी भी प्रकार का धार्मिक-प्रमुख राष्ट्रवाद देश की तरक्की और सामाजिक सद्भाव के लिए हानिकारक साबित होगा।

उन्होंने सभी नागरिकों और जनहितैषी नेताओं से अपील की कि वे संविधानिक मूल्यों, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता की रक्षा करें। उनका कहना है कि अगर हम विविधता को अपनाएंगे और संविधान के आदर्शों का पालन करेंगे, तभी भारत की प्रगति सुनिश्चित होगी।

ज्ञात हो कि कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर सोमवार को जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर में दर्शन करने गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर हिंदुओं के बच्चे 99 प्रतिशत हिंदू नहीं हैं, तो इसका कारण यह है कि हम अपने बच्चों को रामायण और गीता का ज्ञान नहीं दे रहे। जब हमें अपने धर्म बोध और पुस्तकों का ज्ञान नहीं होगा, तो हम कैसे हिंदू होंगे? धर्म परिवर्तन वही लोग कर रहे हैं, जिन्हें अपने धर्म के बारे में ज्ञान नहीं।

इस पर मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कथा कथावाचक ने हिंदू समाज के लोगों को आयना दिखाने वाली बात कही है। हर व्यक्ति को अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना चाहिए, और धर्म के मुख्य उद्देश्य को समझना आवश्यक है। अच्छा इंसान वही है जो अपने धर्म के वसूलों का पालन करते हुए समाज और देश के हितों की बात करे।

मौलाना ने आगे कहा कि भारत में मुसलमानों ने कोई ऐसी संस्था स्थापित नहीं की है जहां से धर्मांतरण का कार्य कराया जाता हो। यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति धर्मांतरण का काम कराता है या इसके लिए लालच एवं दबाव डालता है, तो यह पैगंबर इस्लाम की शिक्षा और इस्लाम व संविधान के खिलाफ है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की विविधता ही इसकी पहचान है। मौलाना रजवी का यह बयान हमें याद दिलाता है कि हमें अपने संविधान के मूल्यों को महत्व देना चाहिए।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत में धर्मनिरपेक्षता का क्या महत्व है?
धर्मनिरपेक्षता भारत की विविधता और सामाजिक सौहार्द का आधार है। यह सभी धर्मों को समान सम्मान देती है।
क्या भारत एक हिंदू राष्ट्र बन सकता है?
भारत का संविधान इसे एक बहु-धार्मिक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करता है, इसलिए यह एक हिंदू राष्ट्र नहीं बन सकता।
मौलाना रजवी का बयान समाज पर कैसे असर डालता है?
उनका बयान समाज की एकता और विविधता को बढ़ावा देने में मदद करता है।
क्या धर्मांतरण भारत में एक समस्या है?
यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और मौलाना रजवी ने इसे इस्लाम और संविधान के खिलाफ बताया है।
भारत में धार्मिक शिक्षा का महत्व क्या है?
धार्मिक शिक्षा बच्चों के लिए अपने धर्म की समझ और पहचान को विकसित करने में सहायक होती है।