क्या भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी? नौसेना नए एंटी-सबमरीन जहाज 'माहे' को शामिल करेगी

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क्या भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी? नौसेना नए एंटी-सबमरीन जहाज 'माहे' को शामिल करेगी

सारांश

भारतीय नौसेना आज मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में माहे श्रेणी के पहले पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान को शामिल करने जा रही है। यह समारोह थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी की अध्यक्षता में होगा। जानिए इस जहाज की विशेषताओं और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • माहे श्रेणी का जहाज भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा।
  • स्वदेशी सामग्री की उच्चतम प्रतिशतता इसे विशेष बनाती है।
  • यह जहाज समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड में किया गया है।
  • यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना सोमवार को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में माहे श्रेणी के पहले पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) का समावेश करेगी। इस समारोह की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी करेंगे, जिसे पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन द्वारा आयोजित किया जाएगा।

माहे की कमीशनिंग स्वदेशी शैलो-वॉटर के लड़ाकू विमानों की एक नई पीढ़ी का प्रतीक होगी, जो आकर्षक, तेज और पूरी तरह से भारतीय हैं। ८० प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ, माहे-श्रेणी युद्धपोत डिजाइन, निर्माण और एकीकरण में भारत की बढ़ती महारत को दर्शाता है। यह पश्चिमी समुद्र तट पर एक 'साइलेंट हंटर' के रूप में कार्य करेगा, जो आत्मनिर्भरता से प्रेरित होकर भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित है।

यह जहाज कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में निर्मित हुआ है। यह नौसेना के जहाजों के डिजाइन और निर्माण में भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल का एक अत्याधुनिक उदाहरण है। माहे एक छोटा होते हुए भी शक्तिशाली है और चपलता, सटीकता व सहनशक्ति का प्रतीक है, जो तटीय क्षेत्रों पर प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आवश्यक गुण माने जाते हैं।

इस जहाज को पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और देश के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है। मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर बने इस जहाज के शिखर पर 'उरुमी' अंकित है।

कमांडिंग ऑफिसर ए.सी. चौबे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “यह शैलो वॉटर क्राफ्ट में से पहला है, जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया और डिजाइन किया है। हमारे पास पूरी तरह से स्वदेशी हथियार और सेंसर हैं। हथियारों में एक नेवल सरफेस गन, एक स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो, डिकॉय और स्टेबलाइज्ड रिमोट-कंट्रोल गन शामिल हैं। सेंसर में सोनार सिस्टम और एलएफवीडीएस शामिल हैं।”

लेफ्टिनेंट कमांडर प्रणश शर्मा ने कहा, “यह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड का बनाया हुआ माहे क्लास का पहला जहाज है और इसमें ८० प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स हैं। इस जहाज पर लगे हथियारों और सेंसर की बात करें तो, सबसे पहले एनएसजी है, जो नेवल सरफेस गन है, जिससे हम सरफेस और एरियल डोमेन में किसी भी दुश्मन के पार्ट्स को न्यूट्रलाइज कर सकते हैं। लार्सन एंड टूब्रो सिस्टम हमें दुश्मन की सबमरीन और उनकी तरफ से फायर किए गए टॉरपीडो को न्यूट्रलाइज करने में मदद करता है।”

Point of View

जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। माहे श्रेणी के युद्धपोतों का समावेश न केवल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की रक्षा औद्योगिक क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

माहे श्रेणी का जहाज किस प्रकार का है?
यह एक पनडुब्बी रोधी युद्धक उथला जलयान है, जिसे स्वदेशी तकनीक से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
इस जहाज का निर्माण कहाँ हुआ है?
इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया है।
माहे जहाज में कितनी प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है?
इस जहाज में ८० प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।
इस जहाज की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
यह जहाज पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
माहे जहाज के नाम का महत्व क्या है?
इसका नाम मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर रखा गया है।
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