क्या भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ऊर्जा बचत जरूरी है: प्रह्लाद जोशी
सारांश
Key Takeaways
- ऊर्जा बचत से भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- हरित ऊर्जा परियोजनाएँ जारी हैं, कोई रद्द नहीं की गई हैं।
- केंद्र सरकार की नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों का विस्तार हो रहा है।
- उपयोग में कुशल उपकरण अपनाना आवश्यक है।
- ग्रीन एनर्जी के माध्यम से वाणिज्यिक क्षेत्रों में क्षमता बढ़ रही है।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कहा कि आज की गई ऊर्जा बचत भविष्य में भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने ऊर्जा के जिम्मेदारी से उपयोग और एक टिकाऊ, हरित भारत के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
प्रह्लाद जोशी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, ऊर्जा संरक्षण एक सुरक्षित और टिकाऊ भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आइए हम कुशल तरीकों को अपनाकर एक स्वच्छ, हरित भारत की दिशा में आगे बढ़ें।
उन्होंने नागरिकों से कुशल ऊर्जा उपायों को अपनाने और एक स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।
मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार सभी क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार और संरक्षण उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे पहले, जोशी ने संसद को बताया था कि केंद्र सरकार की देश में किसी भी हरित ऊर्जा परियोजना को समाप्त करने या रद्द करने की कोई योजना नहीं है।
प्रह्लाद जोशी ने स्पष्ट किया कि अब तक दिए गए किसी भी नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट को रद्द नहीं किया गया है और न ही भविष्य में रद्द करने के लिए कोई सूची तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि एलईसीआई, एनटीपीसी, एनएचपीसी और एसजेवीएन सहित नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों ने अप्रैल 2023 से 67,554 मेगावाट की नवीकरणीय बिजली परियोजनाओं के लिए अवार्ड लेटर जारी किए हैं। जोशी ने यह भी बताया कि राज्य स्वतंत्र रूप से नवीकरणीय बिजली खरीद टेंडर जारी कर रहे हैं, जबकि ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस और कैप्टिव रूट के माध्यम से वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में नवीकरणीय क्षमता जोड़ी जा रही है।
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह दर्शाता है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि केवल केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से नहीं, बल्कि कई तरीकों से हो रही है। मंत्री ने कहा कि सोलर-प्लस-स्टोरेज और डिस्पैचेबल नवीकरणीय बिजली की लागत कम होने के साथ, वितरण कंपनियां साधारण सौर परियोजनाओं की तुलना में इन समाधानों को अधिक प्राथमिकता दे रही हैं।