क्या आप जानते हैं तमिलनाडु में 16वीं सदी में बना विघ्नहर्ता का अद्भुत मंदिर?
सारांश
Key Takeaways
- ईचनारी विनायगर मंदिर 16वीं सदी में बना है।
- यह द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।
- गणेश चतुर्थी पर यहाँ विशेष उत्सव मनाया जाता है।
- मंदिर में दर्शन से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
- मंदिर के पास अन्य पर्यटन स्थल भी हैं।
कोयंबटूर, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गौरी पुत्र के दर्शन मात्र से जीवन की अनेक परेशानियों और दुख-दर्द के साथ ही बाधाओं का भी नाश होता है। तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश को समर्पित प्राचीन और अद्भुत ईचनारी विनायगर मंदिर है।
कोयंबटूर एनएच 209 पर स्थित यह ईचनारी विनायगर मंदिर भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत प्राचीन और सुंदर मंदिर है। द्रविड़ शैली की वास्तुकला से निर्मित यह मंदिर एक शांत और ध्यानमग्न वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। विश्वभर से आने वाले भक्त यहाँ विघ्नहर्ता गणेश के दर्शन कर जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाते हैं।
इस मंदिर के बारे में तमिलनाडु पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। यहाँ स्थापित 6 फुट ऊँची और 3 फुट व्यास वाली विशाल मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर की स्थापना की पौराणिक कथा बेहद दिलचस्प है। लगभग 16वीं शताब्दी में मदुरै से कोयंबटूर के समीप पेरुर पट्टीश्वरर मंदिर में स्थापना के लिए भगवान गणेश की यह विशाल मूर्ति बैलगाड़ी पर लाई जा रही थी। जब गाड़ी ईचनारी गांव में पहुँची, तो अचानक गाड़ी की धुरी टूट गई। बार-बार प्रयास के बावजूद मूर्ति को आगे नहीं बढ़ाया जा सका और वह वहीं जमीन में धंस गई।
भक्तों ने इसे भगवान गणेश की इच्छा मानकर यहीं मंदिर का निर्माण कराया। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कथा बताती है कि विघ्नहर्ता स्वयं यहाँ विराजमान होना चाहते थे। भक्त मानते हैं कि यहाँ दर्शन मात्र से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
विनायगर मंदिर में गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सुबह-सुबह गणपति होमम यज्ञ होता है, जो एक पारंपरिक अग्नि अनुष्ठान है। इसमें भाग लेकर भक्त गणपति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गर्भगृह के चारों ओर भगवान गणेश की पौराणिक कथाओं के चित्र और विवरण लगे हैं।
भक्त मंदिर ट्रस्ट से टोकन लेकर अर्चना और प्रसाद बुक कर सकते हैं। गर्भगृह के आसपास शांत स्थान पर बैठकर ध्यान या विश्राम भी किया जा सकता है। मंदिर सुबह 5 से रात 9 बजे तक खुला रहता है और प्रवेश निशुल्क है। यहाँ रोजाना सुबह गणपति होमम होता है, जो विशेष आकर्षण है। गणपति में विशेष आस्था के साथ यहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। भक्तों का मानना है कि इस अद्भुत मंदिर में गणपति के दर्शन करने मात्र से उन्हें शांति, आशीर्वाद और जीवन में नई ऊर्जा मिलती है।
ईचनारी विनायगर मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि द्रविड़ संस्कृति और वास्तुकला का जीवंत उदाहरण भी है। विशेष बात यह है कि मंदिर के पास भी पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं। अनामलाई वन्यजीव अभयारण्य, सिरुवानी झरना और मरुदमलाई पहाड़ी मंदिर जैसे पर्यटन स्थल हैं, जो प्रकृति प्रेमियों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।