क्या भारत की युवा शक्ति और कोरियाई टेक्नोलॉजी का संगम दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा: हरदीप पुरी?
सारांश
Key Takeaways
- भारत की युवा शक्ति और कोरियाई टेक्नोलॉजी का मेल फायदेमंद है।
- दक्षिण कोरियाई कंपनियों के साथ साझेदारी के अवसर।
- भारत को वैश्विक समुद्री शिपिंग हब के रूप में स्थापित करने की योजना।
- कुशल श्रम शक्ति और सही नीतियों की आवश्यकता।
- ‘मेक इन इंडिया’ पहल का सहयोग।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने कोरियाई दौरे के दौरान रविवार को कहा कि भारत की युवा शक्ति और कोरियाई टेक्नोलॉजी का संगम एक सकारात्मक मिश्रण है, जिससे दोनों देशों को लाभ प्राप्त होगा।
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के दौरे पर गए पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "कोरिया में करियर और शिक्षा के अवसर तलाश रहे युवा भारतीय पेशेवरों और छात्रों के एक समूह से जुड़कर मुझे अत्यधिक खुशी हुई।"
पुरी ने आगे कहा, "उन्होंने (भारतीय पेशेवरों और छात्रों) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वृद्धि और विकास के प्रति अपने सपनों और उत्साह का उल्लेख किया।"
इस दौरे के दौरान पुरी ने कई दक्षिण कोरियाई कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की और भारत एवं कोरिया के बीच, विशेषकर शिपबिल्डिंग में साझेदारी के अवसरों की खोज की।
सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर की एक पोस्ट में पुरी ने कहा, "हमारे ऊर्जा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम माल ढुलाई पर सालाना लगभग 5-8 अरब डॉलर खर्च करते हैं और उन्हें फिलहाल लगभग 59 जहाजों की आवश्यकता है। हनवा ओशन जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों के लिए भारत के साथ काम करने और इन जहाजों का निर्माण करने का एक बड़ा अवसर है।"
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि यह उचित समय है कि जब वैश्विक मांग को पूरा करने वाली समुद्री जहाज बनाने वाली दिग्गज कंपनियां भारत के साथ जुड़ें।
पुरी ने कहा, "हम न केवल 5 वर्षों में अपने जहाजों की लागत वसूल कर लेंगे, बल्कि भारत को एक वैश्विक समुद्री शिपिंग हब के रूप में भी स्थापित करेंगे।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरियाई शिपिंग कंपनियों के पास ज्ञान और क्षमता है। वहीं, भारत के पास मांग, कुशल श्रम शक्ति और उचित नीतियां हैं, जिससे इसे ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ एक सफल साझेदारी में बदला जा सकता है।