क्या एससीओ साझा बयान में भारत ने आतंकवाद पर चिंता जताने की मांग रखी?

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क्या एससीओ साझा बयान में भारत ने आतंकवाद पर चिंता जताने की मांग रखी?

सारांश

भारत ने एससीओ की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे को साझा बयान में शामिल करने की मांग की, जिसे एक सदस्य देश ने स्वीकार नहीं किया। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक में क्या हुआ और भारत की स्थिति क्या है।

Key Takeaways

  • भारत ने एससीओ में आतंकवाद पर चिंता जताई।
  • साझा बयान पारित नहीं हो सका।
  • रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपील की।
  • भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति को दोहराया गया।
  • एससीओ के सदस्य देशों की स्थिति का अध्ययन किया गया।

नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। चीन के किंगदाओ में गुरुवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में साझा बयान पारित नहीं हो सका। भारत ने इसका कारण बताते हुए कहा कि उसने इस दस्तावेज़ में आतंकवाद को लेकर अपनी चिंताओं को शामिल करने की मांग की थी, जो एक सदस्य देश को स्वीकार नहीं थी, इसलिए सहमति नहीं बन सकी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हमें जानकारी है कि रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान को अपनाया नहीं जा सका। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कुछ मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई। भारत की ओर से हम चाहते थे कि दस्तावेज़ में आतंकवाद से संबंधित हमारी चिंता को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए, लेकिन एक सदस्य देश को यह स्वीकार नहीं था।"

जायसवाल ने बताया, "रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में एससीओ सदस्य देशों से एकजुट होकर आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने की अपील की। उन्होंने यह भी दोहराया कि आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए आतंकवाद, कट्टरपंथ और उग्रवाद को क्षेत्रीय शांति और विश्वास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और इनके खिलाफ वैश्विक एकता की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए सीमा पार आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया।

रक्षा मंत्री ने एससीओ देशों से आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को छोड़ने और आतंकवाद को समर्थन देने वालों को जवाबदेह ठहराने की अपील भी की।

एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा, "आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं।" उन्होंने भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति को भी दोहराया।

उल्लेखनीय है कि राजनाथ सिंह की चीन यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत ने एक महीने पहले ही ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर लक्षित हवाई हमले किए थे। यह कार्रवाई पहलगाम हमले के जवाब में की गई थी।

चीन द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय बैठक में एससीओ के सदस्य देशों ईरान, पाकिस्तान, रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति सख्त है। एससीओ बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे को उठाकर अपनी स्थिति को मजबूती से पेश किया है। यह सभी सदस्य देशों के लिए एक संकेत है कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना आवश्यक है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने एससीओ बैठक में आतंकवाद के खिलाफ क्या कदम उठाए?
भारत ने आतंकवाद को साझा बयान में शामिल करने की मांग की, जो एक सदस्य देश ने स्वीकार नहीं की।
साझा बयान पारित न होने का कारण क्या था?
साझा बयान पारित न होने का कारण सदस्य देशों के बीच आम सहमति का अभाव था।
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद पर क्या कहा?
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद को क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताते हुए वैश्विक एकता की आवश्यकता पर बल दिया।