क्या भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा रिन्यूएबल ग्रोथ मार्केट बनने को तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तक पहुँच सकता है।
- आईईए की रिपोर्ट में वैश्विक रिन्यूएबल ग्रोथ का सकारात्मक आउटलुक है।
- सोलर एनर्जी का योगदान 80 प्रतिशत होगा।
- अमेरिका और चीन की नीतियों में बदलाव से असर पड़ेगा।
- नई नीतियों और कार्यक्रमों से विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दुनिया में रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और भारत वैश्विक स्तर पर चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा रिन्यूएबल ग्रोथ मार्केट बनने की दिशा में अग्रसर है। इसके साथ ही, देश 2030 तक अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य 500 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तक आसानी से पहुंच जाएगा। यह जानकारी इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) द्वारा मंगलवार को जारी किए गए मध्यम अवधि के पूर्वानुमान में दी गई है।
आईईए की वार्षिक रिपोर्ट "रिन्यूएबल्स 2025" में बताया गया है कि 2030 तक वैश्विक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता बढ़कर 4,600 गीगावाट हो जाएगी, जो कि चीन, यूरोपीय संघ और जापान की संयुक्त कुल बिजली उत्पादन क्षमता के बराबर है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगले पांच वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता की वैश्विक वृद्धि में सोलर का योगदान लगभग 80 प्रतिशत होगा। इसके बाद विंड, हाइड्रो, बायोएनर्जी और जिओथर्मल का स्थान होगा।
अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया और कई उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जिओथर्मल एनर्जी उत्पादन ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचने की ओर बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रिड एकीकरण की बढ़ती चुनौतियों के कारण पम्प-स्टोरेज हाइड्रोपावर में रुचि पुनः बढ़ रही है, इसके अगले पांच वर्षों में लगभग 80 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में, लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और मजबूत नीतिगत समर्थन रिन्यूएबल एनर्जी के तेज विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और कई सरकारें नए नीलामी कार्यक्रम शुरू कर रही हैं और अपने लक्ष्य बढ़ा रही हैं।
आईईए के कार्यकारी निदेशक फतिह बिरोल ने कहा, "आने वाले वर्षों में वैश्विक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में मुख्य वृद्धि सोलर से आएगी, लेकिन इसमें विंड, हाइड्रोपावर, बायोएनर्जी और जिओथर्मल एनर्जी का भी योगदान होगा।"
रिपोर्ट में ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी ग्रोथ के आउटलुक को पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से कम कर दिया गया है। इसकी वजह चीन और अमेरिका में नीति में बदलाव होना है।
अमेरिका में संघीय कर प्रोत्साहनों को समय से पहले समाप्त करने और अन्य नियामकीय बदलावों के कारण रिन्यूएबल एनर्जी की वृद्धि की उम्मीदें पिछले साल के अनुमान की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत कम हो गई हैं।
चीन द्वारा फिक्स्ड टैरिफ के कारण रिन्यूएबल एनर्जी की वृद्धि के अनुमान में कमी आई है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ये समायोजन कुछ हद तक अन्य क्षेत्रों जैसे भारत, यूरोप और अधिकांश उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आई तेजी से संतुलित हो रहे हैं, जहां महत्वाकांक्षी नई नीतियों और रूफटॉप सोलर एनर्जी के बढ़ते उपयोग के कारण विकास की संभावनाओं को संशोधित किया गया है।