क्या भारतीय सेना प्रमुख श्रीलंका की यात्रा करेंगे, जिससे दोनों देशों के रिश्तों को मिलेगी मजबूती?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना प्रमुख की श्रीलंका यात्रा से रिश्तों में मजबूती आएगी।
- यह यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।
- उच्चस्तरीय संवाद से सुरक्षा सहयोग में वृद्धि होगी।
- यह यात्रा पड़ोसी प्रथम नीति को सुदृढ़ करेगी।
- भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक संबंध भी महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। यह यात्रा रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो कि भारत और श्रीलंका के संबंधों को और मजबूत करेगी।
भारतीय सेना के अनुसार, सेना प्रमुख १-२ दिसंबर को श्रीलंका में रहेंगे। यह यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों को और मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य संवाद, संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण सहयोग में वृद्धि ने आपसी विश्वास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
इससे पहले, २०२१ में तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने श्रीलंका का दौरा किया था, जहां उन्होंने श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ बातचीत की और संयुक्त सैन्य अभ्यास 'मित्र शक्ति' का निरीक्षण किया। इसी क्रम में, सितंबर २०२५ में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने भी श्रीलंका का दौरा किया। इन यात्राओं ने समुद्री सुरक्षा और सहयोग को नई दिशा दी।
जून २०२५ में, श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजीएम लसनथा रॉड्रिगो ने भारत का दौरा किया। उनकी यात्रा ने दोनों सेनाओं के बीच पेशेवर संबंधों को और मजबूत किया। जनरल उपेंद्र द्विवेदी की यात्रा से भारत की पड़ोसी प्रथम नीति को भी बल मिलेगा, जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ विश्वास और सुरक्षा सहयोग को प्राथमिकता देना है।
भारतीय आर्मी चीफ की श्रीलंका के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के साथ बातचीत से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर साझा दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।
श्रीलंका, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की आकांक्षा का समर्थन करता है, जबकि भारत श्रीलंका के ब्रिक्स जैसे मंचों में व्यापक भूमिका के प्रयासों का समर्थन करता है। यह यात्रा वर्ष २०२५ के उच्चस्तरीय संवादों की श्रृंखला को पूरा करती है और दोनों देशों के बीच निरंतरता और विश्वास का संकेत देती है।
श्रीलंका में स्मारकों पर श्रद्धांजलि, सैन्य चर्चाएं और भविष्य की साझेदारी पर विचार-विमर्श—ये सभी कदम इस यात्रा को रणनीतिक और महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। जनरल उपेंद्र द्विवेदी की यह यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों की मजबूती का प्रतीक है। यह यात्रा दर्शाती है कि भारत श्रीलंका को एक घनिष्ठ पड़ोसी और विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखता है।