क्या बहराइच में भेड़ियों का आतंक अब भी जारी है?

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क्या बहराइच में भेड़ियों का आतंक अब भी जारी है?

सारांश

बहराइच में भेड़ियों के आतंक से परेशान महिलाएं रातभर पहरा दे रही हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाए गए इस कदम से स्थिति की गंभीरता उजागर होती है। क्या प्रशासन इस समस्या का समाधान करेगा?

Key Takeaways

  • बहराइच में भेड़ियों का आतंक जारी है।
  • महिलाएं बच्चों की सुरक्षा के लिए सक्रिय हैं।
  • प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
  • भेड़ियों के हमलों में बच्चों की जान जा चुकी है।
  • स्थानीय लोग खुद सुरक्षा का जिम्मा उठा रहे हैं।

बहराइच, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बहराइच में भेड़ियों का आतंक लगातार जारी है और यह समस्या महीनों से बनी हुई है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए महिलाएं खुद मोर्चा संभाल रही हैं। हाथों में फरसा, लाठी और डंडा लेकर ये महिलाएं रातभर पहरा दे रही हैं, ताकि अपने बच्चों और परिवार को इन खूंखार भेड़ियों से बचा सकें।

खतरनाक जानवरों के हमलों में अब तक 4 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि 18 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मझारा तौकली क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव, जैसे बभनन पुरवा, भिरगू पुरवा, बाबा पटाव, देवनाथ पुरवा, गांधीगंज आदि, भेड़ियों के आतंक की चपेट में हैं।

सुनसान इलाकों से निकलने वाले आदमखोर भेड़िए खासकर मासूम बच्चों को निशाना बना रहे हैं। इस स्थिति से त्रस्त महिलाएं अब खुद सुरक्षा का जिम्मा उठाने लगी हैं।

पहरा दे रही महिलाओं और स्थानीय लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि वन विभाग और प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तब तक चैन नहीं आएगा जब तक ये नरभक्षी भेड़िए पिंजरे में नहीं कैद हो जाते।

स्थानीय महिला मीना देवी कहती हैं कि भेड़िए और तेंदुए के कारण हमें फरसा लेकर पहरा देना पड़ रहा है। ये खतरनाक जानवर घर में घुसते हैं और बच्चों पर हमला करते हैं। उन्होंने बताया कि 3 दिन पहले उनके बच्चों पर हमला हुआ। लाठी-डंडों की मदद से बच्चों को बचाया गया, वरना ये जानवर बच्चों को ले जाते। इसीलिए रात में महिलाएं जागती हैं और पहरा देती हैं।

चंद्रकांती ने बताया कि लाठी-डंडे लेकर हम महिलाएं पहरा दे रही हैं और अपने बच्चों को बचा रही हैं। उन्होंने कहा कि रात में एक दिन भेड़िए ने उनसे हमला किया था। लाठी-डंडों की वजह से जान बच पाई और उसके बाद पूरे परिवार को कमरे में बंद कर लिया गया।

इसी प्रकार गांव की अन्य महिलाएं रातभर जागती हैं और बच्चों की सुरक्षा करती हैं।

बहराइच के जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी 4 बच्चों की मौत की पुष्टि करते हैं। जिलाधिकारी ने कहा, "अभी तक जो घटनाएं हुई हैं, उनमें मरने वालों की संख्या 4 है। घायलों में कुछ लोगों को मामूली चोटें आई थीं। दो और लोगों पर हमला हुआ है, जो अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल, वे खतरे से बाहर हैं।

Point of View

बल्कि स्थानीय समुदाय की सुरक्षा के प्रति प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। यह महत्वपूर्ण है कि सरकार तत्काल प्रभावी कदम उठाए ताकि ग्रामीणों का विश्वास बहाल हो सके।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

बहराइच में भेड़ियों का आतंक कब से शुरू हुआ?
भेड़ियों का आतंक बहराइच में महीनों से जारी है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं।
महिलाएं बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कर रही हैं?
महिलाएं लाठी-डंडे लेकर रातभर पहरा दे रही हैं ताकि बच्चों को भेड़ियों से बचा सकें।
क्या प्रशासन ने इस समस्या का समाधान किया है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
भेड़ियों के हमले में कितने बच्चे प्रभावित हुए हैं?
अब तक चार बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि 18 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
स्थानीय लोग इस स्थिति के बारे में क्या सोचते हैं?
स्थानीय लोग प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराज हैं और सुरक्षा के लिए खुद कदम उठा रहे हैं।