क्या भीष्म साहनी ने ‘तमस’ में भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द बयां किया?

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क्या भीष्म साहनी ने ‘तमस’ में भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द बयां किया?

सारांश

भीष्म साहनी, हिंदी साहित्य के अनमोल रत्न, ने ‘तमस’ में विभाजन की त्रासदी को गहराई से चित्रित किया। उनकी रचनाएं मानवता, सामाजिकता और संघर्ष की कहानियों को जीवंत करती हैं। आइए जानें उनके जीवन और लेखन के अनछुए पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • भीष्म साहनी ने ‘तमस’ में विभाजन का दर्द बयां किया है।
  • उनकी रचनाएं समाजिक और मानवीय मूल्यों को उजागर करती हैं।
  • उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • साहनी का जन्म 1915 में रावलपिंडी में हुआ था।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण नाटक और उपन्यास लिखे हैं।

नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभों में भीष्म साहनी का नाम लेना अनिवार्य है। वे आधुनिक हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण आधार थे, जिनकी रचनाएं सामाजिक, मानवीय मूल्यों और भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को गहराई से व्यक्त करती हैं। साहनी की लेखनी में मार्क्सवादी चिंतन और मानवतावादी दृष्टिकोण का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो उनकी कहानियों और उपन्यासों को अमर बनाता है।

भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास ‘तमस’ विभाजन की त्रासदी को दर्शाता है, जिस पर 1986 में एक टीवी श्रृंखला भी बनी। साहनी केवल लेखक ही नहीं, बल्कि एक कुशल नाटककार, अनुवादक, संपादक और अभिनेता भी थे। उनकी रचनाओं के कारण उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और अन्य कई सम्मानों से सम्मानित किया गया।

8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में जन्मे भीष्म साहनी का जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता, हरबंस लाल साहनी, एक समाजसेवी थे। उन्होंने 1937 में लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया और 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पीएचडी की।

भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले साहनी ने व्यापार किया। विभाजन के बाद वे भारत आए और यहां उन्होंने पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की। इस दौरान वे भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जुड़े और अभिनय में भी योगदान दिया। उन्होंने फिल्म ‘मोहन जोशी हाजिर हो’ में अभिनय भी किया। उन्होंने टॉलस्टॉय, ऑस्ट्रोवस्की जैसे रूसी लेखकों की लगभग दो दर्जन किताबों का हिंदी में अनुवाद किया, जिसमें टॉलस्टॉय का उपन्यास ‘पुनरुत्थान’ शामिल है।

साहनी ने 1965 से 1967 तक हिंदी पत्रिका नई कहानियां का संपादन किया। उन्होंने ‘तमस’ (1974), ‘बसंती’, ‘झरोखे’ और ‘कड़ियां’ जैसे उपन्यास भी लिखे। विभाजन की त्रासदी पर आधारित ‘तमस’ (1974) के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक बंधनों और नारी जीवन की चुनौतियों को दर्शाते उपन्यास ‘बसंती’ से भी अपनी लेखनी की छाप छोड़ी। उन्होंने ‘हानूश’, ‘माधवी’, ‘कबीरा खड़ा बाजार में’, ‘मुआवजे’ और ‘आलमगीर’ जैसे नाटक भी लिखे।

भीष्म साहनी ने अपने भाई और हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता बलराज साहनी की आत्मकथा ‘बलराज माय ब्रदर’ भी लिखी। अपनी रचनाओं के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और कई अन्य सम्मानों से नवाजा गया। उनका निधन 11 जुलाई 2003 को दिल्ली में हुआ। उनकी रचनाएं आज भी हिंदी साहित्य में एक अमूल्य धरोहर के रूप में जीवित हैं।

Point of View

भीष्म साहनी की रचनाएं हमें न केवल इतिहास की गहराईयों में ले जाती हैं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के प्रति हमारी समझ को भी विकसित करती हैं। साहित्य के माध्यम से वे समाज के जटिल पहलुओं को उजागर करते हैं, जिससे हम एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ा सकें।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

भीष्म साहनी का प्रमुख उपन्यास कौन सा है?
भीष्म साहनी का प्रमुख उपन्यास ‘तमस’ है, जो भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को दर्शाता है।
भीष्म साहनी ने कौन से पुरस्कार प्राप्त किए?
भीष्म साहनी को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और अन्य कई सम्मानों से नवाजा गया।
भीष्म साहनी ने किस विश्वविद्यालय से पीएचडी की?
भीष्म साहनी ने 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पीएचडी की।
भीष्म साहनी का जन्म कब और कहां हुआ?
भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में हुआ।
भीष्म साहनी का साहित्य में योगदान क्या है?
भीष्म साहनी ने सामाजिक, मानवीय मूल्यों और विभाजन की त्रासदी पर गहन रचनाएं की हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।