क्या बिहार चुनाव के रुझानों में कांग्रेस एमएलसी का बयान है, 'चुनाव आयोग आरएसएस इकाई की तरह काम कर रहा है'?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार चुनाव में एनडीए फिर से सत्तारूढ़ नजर आ रहा है।
- कांग्रेस ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
- 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाना एक विवादास्पद कदम है।
- हरिप्रसाद का बयान चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
- चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस आवश्यक है।
बेंगलुरु, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है। रुझानों में एक बार फिर एनडीए सत्ता में लौटता नजर आ रहा है। इस बीच, महागठबंधन काफी पीछे है। कर्नाटक कांग्रेस के एमएलसी बीके. हरिप्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक इकाई के रूप में कार्य कर रहा है और उसने एनडीए की जीत को सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम किसी विडंबना से कम नहीं हैं। मैं चुनाव आयोग को हार्दिक बधाई देता हूं।
हरिप्रसाद ने कहा कि एसआईआर के तहत बिहार में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, और यह परिणाम चुनाव आयोग की कारगुजारी का नतीजा हैं।
उन्होंने इसे सभी लोकतांत्रिक मानदंडों और प्रथाओं को नष्ट करने वाला कदम बताया। उनका कहना था कि चुनाव आयोग आरएसएस की एक इकाई की तरह काम कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा आरएसएस से जुड़ा एक राजनीतिक दल है, और चुनाव आयोग देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त करने के प्रयास में है। यदि 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं, तो यह चुनाव आयोग का एक उल्लेखनीय कार्य है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन पर लोगों की प्रतिक्रिया न मिलने के सवाल पर हरिप्रसाद ने कहा कि जब लोगों को वोट डालने की अनुमति नहीं थी, तो उनकी प्रतिक्रिया का कोई मूल्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि यदि लोगों को अपने मताधिकार का उपयोग करने की अनुमति दी गई होती, तो परिणाम अलग हो सकते थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भाजपा विरोधियों को वोट देने का अवसर न मिले। इस संदर्भ में चुनाव आयोग ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और उनके प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।