क्या बिहार में जीविका दीदी बनीं 'सीएम', आत्मनिर्भर बनकर महिलाओं को दिखा रहीं राह?

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क्या बिहार में जीविका दीदी बनीं 'सीएम', आत्मनिर्भर बनकर महिलाओं को दिखा रहीं राह?

सारांश

बिहार में 'जीविका दीदी' आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। यह महिलाएं अब स्थानीय स्तर पर सीएम बनकर सैकड़ों महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहीं हैं। जानिए कैसे ये महिलाएं अपने संघर्ष और सफलता की कहानी के माध्यम से बदलाव ला रही हैं।

Key Takeaways

  • आत्मनिर्भरता के लिए सरकारी योजनाएं महत्वपूर्ण हैं।
  • महिलाओं की सशक्तीकरण से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है।
  • स्वरोजगार से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
  • समूह में काम करने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
  • सरकारी सहायता का सही उपयोग व्यवसाय को बढ़ाने में मददगार होता है।

पटना, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक विशाल देश में सभी को नौकरी देना असंभव है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें अनेक योजनाओं के माध्यम से खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में लगी हुई हैं। बिहार में ‘जीविका दीदी’ न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर सीएम (कम्युनिटी मोटीवेटर) बनकर सैकड़ों महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही हैं। भागलपुर जिले के पीरपैंती, सबौर और जगदीशपुर प्रखंड की कहानियां इस बदलाव की ज्वलंत उदाहरण हैं।

भागलपुर के टाउन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के लीड बैंक यूको बैंक के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजय कुमार निवृति कांबले ने स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता के महत्व पर एक हजार से अधिक ‘जीविका दीदी’ के साथ भावनात्मक संवाद किया। इसी मंच पर पीरपैंती प्रखंड की हरदेवचक पंचायत की रेखा देवी ने अपनी संघर्ष गाथा साझा की।

इंटर पास रेखा देवी ने राष्ट्र प्रेस से बताया कि हमें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना (पीएमएफएमई) के तहत 4.40 लाख रुपए की मदद मिली है। इस राशि से मसाला निर्माण का व्यवसाय शुरू किया, पैकेजिंग मशीन खरीदी और अब ऑर्गेनिक सत्तू, आटा, मसाला, पापड़, बड़ी, अचार और मशरूम का उत्पादन कर रही हूं। पहले हमारे पास ज्यादा राशि नहीं थी, लेकिन अब कुछ राशि आने लगी है।

सबौर की स्वर्ण संध्या भारती ने कहा, "हम मशरूम की खेती कर रहे हैं। इससे हमें काफी लाभ हो रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर मशरूम उत्पादन शुरू किया था। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (पीएमईजीपी) से 10 लाख रुपए की सहायता मिलने के बाद, आज उनके घर का हर कमरा मशरूम उत्पादन का केंद्र बन गया है।"

जगदीशपुर के पुरैनी गांव की फरहाना ने कहा, "हम पहले कुछ नहीं करते थे, लेकिन जब से समूह में जुड़े और 50 हजार का लोन लेकर काम शुरू किया है। अब हम अपनी खुद की सिल्क साड़ी बुनाई कर रहे हैं और कई परिवारों तक साड़ियां भेज रहे हैं। मेरे साथ 150 महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं।" उन्होंने इस सहायता के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया।

यूको बैंक के ईडी विजय कांबले ने कहा कि महिलाओं को उद्यम के माध्यम से वित्तीय रूप से सशक्त करने से न केवल परिवार, बल्कि पूरे समाज की तस्वीर बदल जाती है। बिहार में ‘जीविका दीदी’ सचमुच विकास की नई सीएम बनकर उभरी हैं।

Point of View

बल्कि सामूहिक रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला रही हैं। यह पहल महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ आर्थिक विकास का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

जीविका दीदी क्या हैं?
जीविका दीदी ऐसी महिलाएं हैं जो आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं।
बिहार में जीविका दीदी के तहत कौन सी योजनाएं चल रही हैं?
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना जैसी योजनाएं चल रही हैं।
जीविका दीदी कैसे महिलाओं को रोजगार दिला रहीं हैं?
ये महिलाएं स्वरोजगार के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं।
क्या जीविका दीदी का काम सिर्फ बिहार तक सीमित है?
नहीं, ये पहल अन्य राज्यों में भी फैल रही है।
क्या जीविका दीदी को सरकारी सहायता मिलती है?
हाँ, इन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता मिलती है।
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