क्या बिहार में पुलिस खुद सुरक्षित नहीं, तो जनता की रक्षा क्या करेगी? : पूर्व आईपीएस करुणा सागर

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है।
- पुलिस की सजगता में कमी आई है।
- अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है।
- पुलिस पर हमले के मामले बढ़ रहे हैं।
- सरकार की प्रणाली कार्य नहीं कर रही है।
पटना, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों के बीच, पूर्व आईपीएस अधिकारी करुणा सागर ने चिंता जताई है कि अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ चुका है। हाल ही में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के मामले में उन्होंने बताया कि यह घटना गांधी मैदान थाने से मात्र 200 मीटर की दूरी पर हुई थी। अपराधी पहले रेकी कर फिर हत्या की वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाता है, जो दर्शाता है कि पुलिस को अपने क्षेत्र की सही जानकारी नहीं है। ऐसे मामलों में पुलिस की उपस्थिति और सजगता आवश्यक है।
उन्होंने कहा, "पुलिस के पास एक खबरी सिस्टम होता है जो उन्हें सूचनाएं देता है, लेकिन यहां वह सिस्टम सक्रिय नहीं है। थाने से लेकर मुख्यमंत्री के दरवाजे तक जो प्रणाली कार्य करनी चाहिए, वह काम नहीं कर रही है। सरकार का इकबाल समाप्त हो चुका है। अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे किसी भी समय किसी को मार सकते हैं।"
करुणा सागर ने एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि पटना हवाई अड्डे के एक कर्मचारी के साथ भी ऐसा ही हुआ, जहां पुलिस द्वारा पकड़े गए अपराधी निचली अदालत से छूट गए। न तो अपराध रोकने की कोई सटीक रणनीति है, न ही जांच और प्रॉसिक्यूशन की। यहां की पुलिस अपराधियों के खिलाफ खुलकर काम नहीं कर रही है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आजकल बिहार की पुलिस खुद अपराधियों से डरने लगी है। जब 112 पर कॉल करने पर चार पुलिसकर्मी आते हैं, जबकि अन्य राज्यों में एक ही पुलिसकर्मी आता है। देश में सबसे ज्यादा पुलिस पर हमले के मामले बिहार में दर्ज हुए हैं। जब पुलिस खुद की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो जनता की सुरक्षा कैसे करेगी?