क्या बिहार पुलिस फरार अपराधियों को पकड़ने में सफल हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- 2,28,188 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है।
- 8,823 हार्डकोर अपराधी पकड़े गए हैं।
- पुलिस ने अवैध हथियारों की बरामदगी पर ध्यान केंद्रित किया है।
- आंकड़ों के अनुसार, हार्डकोर अपराधियों का प्रतिशत 40% है।
- एसटीएफ की भूमिका महत्वपूर्ण है।
पटना, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार पुलिस ने फरार अपराधियों को पकड़ने के लिए कई स्तरों पर स्ट्रेटेजी बनाई है, जिसका परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच विभिन्न प्रकार के अपराधों में 2,28,188 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 8,823 हार्डकोर अपराधी और 141 नक्सली शामिल हैं।
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पकड़े गए कुल अपराधियों में हार्डकोर अपराधियों का प्रतिशत लगभग 40 है, जिसे पुलिस एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानती है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष 2024 में 3,35,000 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, इस वर्ष के पहले सात महीनों में यानी जनवरी से जुलाई तक 2.28 लाख से अधिक अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं। यह संख्या पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान हुई गिरफ्तारी से अधिक है।
इसी तरह 2023 में 3,51,424 और 2022 में 3,46,332 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, हार्डकोर अपराधियों की निरंतर गिरफ्तारी के साथ-साथ अवैध कारतूस और हथियारों की बरामदगी पर भी जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष जुलाई तक 16,301 कारतूस बरामद किए गए हैं जबकि 2024 में यह संख्या मात्र 26,702 थी। इस वर्ष जुलाई तक 2,625 अवैध हथियारों की बरामदगी की गई है जबकि पिछले वर्षों में यह संख्या क्रमशः 4,917, 4,813 और 4,288 थी।
इस वर्ष के पहले सात महीनों में 38 नियमित या पुलिस से छीने गए हथियारों को भी अपराधियों के पास से बरामद किया गया है। पुलिस ने अवैध मिनीगन फैक्ट्रियों के खिलाफ भी लगातार कार्रवाई की है। जुलाई 2025 तक 36 मिनीगन फैक्ट्रियों का खुलासा किया गया है। बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (विधि व्यवस्था) पंकज कुमार दाराद ने बताया कि हार्डकोर अपराधियों को गिरफ्तार करने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। सभी थानों को ऐसे अपराधियों की सूची बनाकर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है। यह एक मुहिम है जिसके तहत लंबे समय से फरार चल रहे सभी स्तर के अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें स्थानीय पुलिस के साथ एसटीएफ की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।