क्या भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार का दावा सही है कि 'पश्चिम बंगाल में एसआईआर होगा तो टीएमसी खत्म'?

सारांश
Key Takeaways
- जगन्नाथ सरकार का दावा है कि टीएमसी 2026 में हार सकती है।
- एसआईआर लागू होने पर फर्जी वोटरों की पहचान हो सकती है।
- ममता बनर्जी का विरोध उनके सत्ता के डर से है।
- पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा।
- संसद का हंगामा और विधेयक फाड़ना।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2026 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए, ममता बनर्जी एसआईआर के खिलाफ शोर मचा रही हैं।
भाजपा सांसद का कहना है कि यदि बंगाल में एसआईआर लागू होता है, तो टीएमसी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में भाजपा सांसद ने बताया कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल कर अपने वोट बैंक को मजबूत कर रही है। ममता बनर्जी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध इसलिए कर रही हैं क्योंकि इस प्रक्रिया के लागू होते ही फर्जी वोटरों, जैसे बांग्लादेशी मुस्लिम और डुप्लिकेट वोटरों, की पहचान हो जाएगी, जिससे टीएमसी की चुनावी संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति करती हैं और बंगाल के हित में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया है। साथ ही, बांग्लादेशी जमात का नेटवर्क राज्य में सक्रिय है।
भाजपा सांसद ने कहा कि यहां ऐसे वोटर भी हैं जिनके पास एक नहीं, बल्कि तीन वोटर कार्ड हैं। ये वोटर टीएमसी के लिए वोट देते हैं। इसलिए, एसआईआर पश्चिम बंगाल में बेहद आवश्यक है। ममता बनर्जी का विरोध केवल इस कारण है क्योंकि उन्हें पता है कि अगर एसआईआर हुआ तो उनकी सत्ता हाथ से निकल जाएगी। उन्होंने अब तक मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करके चुनाव जीते हैं, लेकिन 2026 का विधानसभा चुनाव हार सकती हैं। टीएमसी सरकार ने बंगाल के हित में कोई कार्य नहीं किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार मंत्रियों को हटाने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिन्हें विपक्ष ने फाड़कर फेंक दिया। इस पर भाजपा सांसद ने कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है और लोकसभा में जो हुआ, वह कभी नहीं होना चाहिए था। बहस करने के बजाय, उन्होंने हंगामा किया और विधेयक फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंक दिया। यह उचित नहीं है। वे डिबेट कर सकते थे, बहस कर सकते थे। बिल फाड़ना ठीक नहीं है। जनता सब कुछ देख रही है; पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जनता जवाब देगी।