क्या भाजपा ने खड़गे पर राष्ट्रपति मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के अपमान का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- खड़गे का बयान भाजपा के लिए एक राजनीतिक अवसर बन गया है।
- आदिवासी समुदाय के प्रति संवेदनशीलता का मामला उठता है।
- कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।
- राजनीतिक बयानबाजी में संविधान का महत्व महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक न्याय की बातों को फिर से रेखांकित करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि खड़गे ने देश की प्रथम महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जो दलित और आदिवासी समुदायों का अपमान है।
गौरव भाटिया ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जानबूझकर अपमान किया है। क्या यही वह कांग्रेस पार्टी है जो स्वयं को संविधान का रक्षक बताती है? जो पार्टी के नेता हाथ में संविधान की प्रति लेकर जनता के सामने नारे लगाते हैं, वही नेता देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों का इस तरह से अपमान करते हैं। इससे कांग्रेस की संकीर्ण, जातिवादी और संविधान विरोधी सोच उजागर होती है।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि यह बयान आदिवासी विरोधी, महिला विरोधी और दलित विरोधी मानसिकता का घिनौना प्रदर्शन है। यह कांग्रेस की गिरावट का एक उदाहरण है। देश आज इन बयानों पर थू-थू कर रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस में इतनी कटुता और नफरत क्यों है? क्या यही वह कांग्रेस है, जिसने दशकों तक सत्ता में रहते हुए वंचित वर्गों के अधिकारों की अनदेखी की?
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर रही है, जबकि असली भूमि हड़पने वालों का इतिहास कांग्रेस परिवार से जुड़ा है। जिस तथाकथित नकली गांधी परिवार से रॉबर्ट वाड्रा ताल्लुक रखते हैं, वही असल में जमीन कब्जाने का जीवंत उदाहरण है। जब एक गरीब, आदिवासी, मेहनतकश महिला देश की राष्ट्रपति बनी हैं, तो कांग्रेस के नेताओं को यह रास नहीं आ रहा।
गौरव भाटिया ने आगे कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की टिप्पणी केवल व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि राष्ट्रपति पद की गरिमा का अपमान है। उन्होंने कांग्रेस से माफी की मांग करते हुए कहा कि भारत की जनता अब जाग चुकी है और ऐसे घृणास्पद विचारों को सिरे से खारिज करेगी। खड़गे का बयान केवल व्यक्तिगत दुर्भावना नहीं है, यह देश की आत्मा और संविधान के मूल मूल्यों पर सीधा हमला है।