क्या बुजुर्ग दंपति से 1.50 करोड़ रुपए की ठगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामलों में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता बताई।
- बुजुर्ग दंपति से ठगी की गई राशि 1.50 करोड़ रुपए है।
- साइबर ठगों ने सीबीआई के फर्जी अधिकारी बनकर धोखा दिया।
- मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।
- यह मामला अकेला नहीं है, ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के अंबाला में एक वरिष्ठ नागरिक के साथ 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए 1.50 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल को कोर्ट की सहायता हेतु निर्देशित किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), हरियाणा सरकार और अंबाला के साइबर क्राइम विभाग को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार और साइबर क्राइम अंबाला के पुलिस अधीक्षक से अब तक की गई जांच की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों के फर्जी हस्ताक्षरों वाले न्यायिक आदेश से न्यायपालिका में जनता का विश्वास गंभीर रूप से प्रभावित होता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अकेला नहीं है। मीडिया में इस प्रकार की कई खबरें प्रकाशित हुई हैं और देश के विभिन्न हिस्सों से इसी तरह की घटनाओं की सूचना आ रही है। इसलिए इस पर शीघ्र कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
अंबाला में हरियाणा रोडवेज की रिटायर्ड ऑडिटर शशिबाला सचदेव और उनके पति को ठगों ने 3 से 16 सितंबर के बीच निशाना बनाया। साइबर ठगों ने सीबीआई के फर्जी अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया और सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश दिखाकर उन्हें डराया।
ठगों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे मामले में फंसाने का भय दिखाकर 13 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा और इस दौरान बुजुर्ग दंपति से 1.50 करोड़ रुपए ठग लिए।
मामले का खुलासा तब हुआ जब तनाव में आए बुजुर्ग दंपति की तबियत बिगड़ी और उन्होंने अपनी बेटी को पूरी कहानी बताई। इसके बाद साइबर थाने में मामला दर्ज कराया गया।