क्या सीबीआई की बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में मनीषा देवी को मिली सजा एक अहम कदम है?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की कार्रवाई ने बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में सख्ती दिखाई।
- मनीषा देवी को 3 साल की सजा मिली है।
- धोखाधड़ी की राशि 1,17,66,950/- रुपए थी।
नई दिल्ली, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई अदालत ने बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। गाजियाबाद के विशेष न्यायाधीश ने बुधवार को मनीषा देवी को दोषी ठहराते हुए 3 साल, 5 महीने और 15 दिन की सजा तथा 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले को 13 सितंबर 2017 को दर्ज किया। मनीषा देवी पर सह-आरोपी के साथ मिलकर बिना उचित दस्तावेजों के ऋण के लिए आवेदन करने और 99 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत कराने का आरोप लगाया गया है।
उनके पति कपिल कुमार पर भी जाली दस्तावेजों के आधार पर एक प्लॉट खरीदने और 50 हजार रुपए निकालने का आरोप लगा है। आरोप है कि उन्होंने खाते से 96 लाख रुपए निकालकर ऋण के नियमों का उल्लंघन किया है।
इस प्रकार, सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर केनरा बैंक (पूर्ववर्ती सिंडिकेट बैंक), गाजियाबाद के साथ धोखाधड़ी कर मनीषा देवी ने बैंक को 1,17,66,950/- रुपए का नुकसान पहुँचाया।
मनीषा देवी और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ 23 दिसंबर 2021 को आरोप पत्र दायर किया गया था। मनीषा देवी ने 9 सितंबर 2025 को विशेष न्यायालय में दोषसिद्धि के लिए आवेदन दिया और उच्च न्यायालय के समक्ष अपना दोष स्वीकार किया।
सीबीआई अदालत ने उनकी दोषसिद्धि के आवेदन को स्वीकार करते हुए 24 सितंबर 2025 को सजा सुनाई।
इससे पहले, सीबीआई ने एक पुरानी धोखाधड़ी मामले में फरार आरोपी सुरेंद्रन जे को केरल के कोल्लम जिले से गिरफ्तार किया था। यह मामला 21 जुलाई 2010 को दर्ज किया गया था, जिसमें सुरेंद्रन जे को मुख्य साजिशकर्ता माना गया था।