क्या सीबीआई ने 183 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का भंडाफोड़ किया, जिसमें पीएनबी अधिकारी भी शामिल हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने 183 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का खुलासा किया।
- पंजाब नेशनल बैंक के दो अधिकारी गिरफ्तार किए गए हैं।
- घोटाले में तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड का नाम शामिल है।
- जांच में कई अन्य संस्थाओं की संलिप्तता हो सकती है।
- गिरफ्तारियाँ आगे बढ़ने की संभावना है।
भोपाल, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त करते हुए इंदौर स्थित निजी कंपनी मेसर्स तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड से जुड़े 183 करोड़ रुपये के विशाल फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का खुलासा किया है।
एजेंसी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के वरिष्ठ प्रबंधक गोविंद चंद्र हंसदा और मोहम्मद फिरोज खान की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। ये दोनों अधिकारी कथित तौर पर धोखाधड़ी के इस संचालन के मुख्य केंद्र में थे। यह घोटाला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर उजागर हुआ, जिसके बाद सीबीआई ने 9 मई 2025 को तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए।
जांच से यह स्पष्ट हुआ कि तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड ने 2023 में मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) से 974 करोड़ रुपये की तीन सिंचाई परियोजनाओं को हासिल करने के लिए 183.21 करोड़ रुपये मूल्य की आठ नकली बैंक गारंटी प्रस्तुत की थी। इन गारंटियों को फर्जी पीएनबी ईमेल आईडी से भेजे गए ईमेल के माध्यम से गलत तरीके से मान्य किया गया था, जिससे एमपीजेएनएल को अनुबंध देने में गुमराह किया गया था।
सीबीआई की जांच के बाद 19 और 20 जून को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्य प्रदेश में 23 स्थानों पर छापे मारे गए। गिरफ्तारियां कोलकाता में की गईं, जहां दोनों आरोपी एक स्थानीय अदालत में पेश किए गए और अब उन्हें आगे की पूछताछ के लिए ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है।
प्रारंभिक निष्कर्षों से यह भी पता चला है कि कोलकाता से संचालित एक बड़े नेटवर्क की संलिप्तता है, जो सरकारी अनुबंधों को धोखाधड़ी से प्राप्त करने के लिए बैंक गारंटी बनाने में विशेषज्ञ है। एजेंसी को संदेह है कि इस रैकेट में कई अन्य निजी संस्थाएं और सरकारी अधिकारी शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही गहन जांच में और भी गिरफ्तारियों की संभावना है।