क्या सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी मामले में फरार आरोपी दिनेश गहलोत को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की गिरफ्तारी महत्वपूर्ण है।
- टेक्नोलॉजी की मदद से अपराधियों को पकड़ा जा सकता है।
- यह मामला बैंक धोखाधड़ी की गंभीरता को दर्शाता है।
- सरकारी एजेंसियों के समन्वय की आवश्यकता है।
- फरार अपराधियों पर लगातार नज़र रखनी चाहिए।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक प्रमुख मामले में फरार आरोपी दिनेश डी. गहलोत को पकड़ लिया है। यह कार्रवाई सीबीआई के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 31 मई 2004 को दर्ज हुआ था, जिसमें दिनेश डी. गहलोत पर बैंक ऑफ बड़ौदा से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से हाउसिंग लोन लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप है। जांच पूरी होने के बाद 30 अप्रैल 2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। हालांकि, दिनेश ने कोर्ट में पेश होने या समन/वारंट का जवाब देने से इनकार कर दिया और 2024 से फरार था। इसके बाद उसके खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे। 9 दिसंबर 2024 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने उसके खिलाफ प्रोक्लेमेशन वारंट जारी किया था।
सीबीआई ने बताया कि दिनेश बार-बार अपना ठिकाना बदलता रहा और स्थानीय लोगों से अपनी असली पहचान छिपाकर कम संपर्क में रहता था, जिससे उसकी तलाश करना कठिन हो गया था।
सीबीआई ने आधुनिक तकनीक और डिजिटल ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल कर उसकी लोकेशन का पता लगाया। गहन जांच और स्थानीय पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिनेश को नोएडा से 20 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक-आधारित खुफिया प्लेटफार्मों का एकीकरण और जांच अधिकारियों के निरंतर और समन्वित प्रयास से लंबे समय से फरार अपराधियों को ढूंढने और पकड़ने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकता है।