क्या सीबीआई ने चिटफंड घोटाला मामले में घोषित अपराधी को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- चिटफंड घोटाले में आरोपी की गिरफ्तारी
- सीबीआई की सक्रियता
- निवेशकों को न्याय दिलाने का प्रयास
- धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कदम
- समाज में विश्वास को पुनर्स्थापित करना
भुवनेश्वर, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने चिटफंड घोटाले के एक घोषित अपराधी शिवकुमार गंगाधरन, जिसे जी. शिवकुमार के नाम से भी जाना जाता है, को गिरफ्तार किया। वह राइटमैक्स टेक्नोट्रेड इंटरनेशनल लिमिटेड का डायरेक्टर है और 2018 से लगातार अपना ठिकाना बदलकर गिरफ्तारी से बचता रहा।
शिवकुमार गंगाधरन पर 2014 में दर्ज मामले में धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र, और प्राइज चिट्स एवं मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (प्रतिबंध) अधिनियम 1978 का उल्लंघन करने का आरोप है। अंततः केंद्रीय जांच एजेंसी ने तकनीक और जानकारी के माध्यम से उसका पता लगाने में सफलता पाई।
सीबीआई की एक टीम ने उसे तमिलनाडु के करूर से गिरफ्तार किया। इसके बाद, जांच एजेंसी ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
वहीं, उत्तराखंड के एलयूसीसी धोखाधड़ी मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
देश के सबसे बड़े चिटफंड घोटालों में से एक एलयूसीसी स्कैम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घोटाले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान सहित आठ राज्यों के हजारों निवेशकों, विशेषकर महिलाओं, से सैकड़ों करोड़ रुपए की ठगी की गई।
इस मामले में कोटद्वार में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। 1 जून 2024 को कोटद्वार निवासी तृप्ति नेगी ने दुगड्डा शाखा के मैनेजर विनीत सिंह और कैशियर प्रज्ञा रावत पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया।
इस संबंध में कोतवाली कोटद्वार में मुकदमा संख्या 142/24 दर्ज किया गया। पौड़ी पुलिस ने संबंधित अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस मामले में आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और चार के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया है।