क्या छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति को मिल रही है सराहना? विष्णुदेव साय की रिपोर्ट

सारांश
Key Takeaways
- नई उद्योग नीति से बस्तर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- 52 हजार करोड़ रुपये का एमओयू साइन हो चुका है।
- बस्तर की प्राकृतिक संपदा का उपयोग किया जाएगा।
- युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
- नक्सलवाद के प्रभाव में कमी आई है।
जगदलपुर, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर में गुरुवार को इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश की नई उद्योग नीति के बारे में विस्तार से बताया और यह भी साझा किया कि इसे देश और विदेश में सराहा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के साथ-साथ टोक्यो (जापान), सियोल, दक्षिण कोरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों में इन्वेस्टर कनेक्ट का सफल आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में भारत के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के कारण प्रदेश में विकास की गति धीमी रही है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई से माओवादी संगठनों के प्रमुख नेताओं का खात्मा हुआ है। नक्सलवाद के कमजोर होने के बाद, बस्तर अब अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जलप्रपात, गुफाएं और पर्यटन स्थलों के लिए देश-दुनिया में पहचान बना रहा है।
सीएम ने बताया कि पिछले 10 महीनों में प्रदेश में साढ़े 10 लाख करोड़ का निवेश हुआ है और उस पर कार्य शुरू हो चुका है। आने वाले समय में प्रदेश में 30 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी युवा सरकारी नौकरी नहीं कर सकते, इसलिए नई उद्योग नीति लाई गई है। इसका लाभ उठाकर युवा उद्योग और स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम में अब तक 52 हजार करोड़ रुपयेएमओयू साइन हुआ है, जिसमें एनएमडीसी, पर्यटन, होम स्टे और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन समझौतों से बस्तरवासियों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलेंगे और यहां उद्योगों का तेजी से विकास होगा। कार्यक्रम के दौरान बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स की मांग पर, मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि उद्योग, श्रम और ऊर्जा विभाग के अधिकारी अब महीने में एक बार बस्तर में बैठेंगे, ताकि निवेश और रोजगार से जुड़ी योजनाओं को तेजी से लागू किया जा सके। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने आदिवासी जमीन के संदर्भ में कहा कि अभी छोटे उद्योग लगाए जा रहे हैं, लेकिन जब बड़े उद्योग लगाने का मुद्दा आएगा, तो आदिवासियों से चर्चा कर उनकी मंशा के अनुसार जमीन अधिग्रहण किया जाएगा।