क्या छत्तीसगढ़ में महिला की फर्जी आईडी बनाने वाले आरोपियों को तीन साल की सजा मिली?

सारांश
Key Takeaways
- महिला की सुरक्षा का ध्यान रखना आवश्यक है।
- डिजिटल पहचान का दुरुपयोग एक गंभीर अपराध है।
- न्यायालय द्वारा सख्त सजा का प्रविधान उचित है।
- पीड़ितों को क्षतिपूर्ति मिलना चाहिए।
- सामाजिक छवि की रक्षा करना सभी का कर्तव्य है।
सक्ती, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में एक महिला की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर उसकी छवि को नुकसान पहुंचाने और अश्लील संदेश भेजने के आरोप में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दो आरोपियों को दोषी ठहराया है। दोनों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा और २०-२० हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
पीड़िता ने थाना सक्ती में २०१८ में शिकायत दर्ज कराई थी कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसके नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर लोगों को अश्लील संदेश भेज रहा है। इसकी वजह से उनकी सामाजिक छवि बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस जांच के बाद सक्ती निवासी जय प्रकाश अग्रवाल और अमन गर्ग को गिरफ्तार किया गया था। जांच में पता चला कि दोनों ने मिलकर फर्जी आईडी बनाई थी। इसमें जय प्रकाश अग्रवाल ने अपना मोबाइल नंबर दिया था, जबकि आईडी का संचालन अमन गर्ग कर रहा था। पुलिस ने मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी जब्त कर लिए थे।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरविंद जायसवाल ने बताया कि जांच के दौरान फेसबुक मुख्यालय कैलिफोर्निया से जानकारी मंगाई गई थी। वहां से रिपोर्ट आने पर साइबर सेल ने तकनीकी परीक्षण किया, जिसमें फेसबुक में उपयोग किया गया मोबाइल नंबर और फोन की जानकारी प्राप्त हुई। इसके बाद ही पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
उन्होंने बताया कि मुकदमे के दौरान पीड़िता, गवाहों, साइबर थाना प्रभारी और रायपुर पुलिस मुख्यालय के विशेषज्ञ का परीक्षण किया गया था। साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने जांच में दोषी पाए जाने पर दोनों आरोपियों को तीन-तीन साल की कारावास और २०-२० हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि में से २० हजार रुपये पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएं।
उन्होंने बताया कि कोर्ट ने उन्हें आईटी एक्ट की धारा ६६(डी) और भारतीय दंड संहिता की धारा ५०९(बी) के तहत सजा सुनाई है।