क्या छत्तीसगढ़ के एनआईए कोर्ट ने केरल की दो कैथोलिक ननों को जमानत दी?

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क्या छत्तीसगढ़ के एनआईए कोर्ट ने केरल की दो कैथोलिक ननों को जमानत दी?

सारांश

छत्तीसगढ़ के एनआईए कोर्ट ने केरल की दो कैथोलिक ननों को जमानत दी है। ये नन मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार की गई थीं। जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद, अदालत ने उन्हें रिहा करने का निर्णय लिया। क्या यह मामला राजनीतिक विवाद में बदल जाएगा?

Key Takeaways

  • छत्तीसगढ़ के एनआईए कोर्ट ने केरल की दो कैथोलिक ननों को जमानत दी।
  • ननों पर मानव तस्करी और जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन के आरोप हैं।
  • जमानत याचिका को पहले सेशन कोर्ट ने खारिज किया था।
  • गिरफ्तारी के मामले में राजनीतिक विवाद बढ़ गया है।
  • ननों की रिहाई के बाद का अगला कदम क्या होगा?

बिलासपुर, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित एनआईए कोर्ट ने शनिवार को केरल की दो कैथोलिक ननों को जमानत प्रदान की है, जो पिछले सप्ताह मानव तस्करी और जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार की गई थीं। अदालत ने जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी की थी।

कैथोलिक नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, केरल के अलप्पुझा जिले में सिरो-मालाबार चर्च के अंतर्गत आने वाली असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट से जुड़ी हुई हैं। एनआईए कोर्ट ने दोनों को 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश जारी किया। साथ ही, उन्हें अपने पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया गया है।

इससे पहले, छत्तीसगढ़ की एक सेशन कोर्ट ने इन ननों की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसके पास मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। सेशन कोर्ट ने कहा था, "क्योंकि यह मामला मानव तस्करी से संबंधित है, इसलिए सुनवाई का अधिकार एनआईए कोर्ट का है।"

सेशन कोर्ट के निर्णय के पश्चात बिलासपुर के एनआईए कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी, जिस पर शनिवार को निर्णय दिया गया। एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद दोनों ननों की रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

दोनों नन आगरा के एक अस्पताल में कार्यरत थीं और छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले से तीन महिलाओं को आगरा ले जा रही थीं। इसी दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें रोक लिया। कार्यकर्ताओं की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों ननों और एक आदिवासी व्यक्ति को मानव तस्करी और धर्म परिवर्तन के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया।

ननों की गिरफ्तारी का मामला राजनीतिक विवाद में बदल गया था। छत्तीसगढ़ के अलावा केरल और दिल्ली में भी कई विपक्षी दलों के नेताओं ने इस गिरफ्तारी पर विरोध जताया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वृंदा करात समेत कुछ नेताओं ने जेल में इन ननों से मिलने का प्रयास किया। वृंदा करात ने आरोप लगाया कि ननों की गिरफ्तारी असंवैधानिक और अवैध है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि न्यायालयों का एक स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करना आवश्यक है। यह घटना न केवल कानूनी प्रक्रिया की गहराई को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को भी। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय का चक्का सही दिशा में चले।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या ननों को जमानत मिलने का कोई विशेष कारण था?
हां, जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद एनआईए कोर्ट ने उन्हें 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया।
इन ननों पर आरोप क्या हैं?
इन ननों पर मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है।
किस अदालत ने पहले जमानत याचिका खारिज की थी?
छत्तीसगढ़ की सेशन कोर्ट ने पहले जमानत याचिका को खारिज किया था।
क्या इस मामले में राजनीतिक पहलू भी है?
हां, इस गिरफ्तारी पर कई विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध जताया है, जिससे मामला राजनीतिक विवाद में बदल गया है।
ननों की गिरफ्तारी के बाद क्या हुआ?
गिरफ्तारी के बाद, ननों की जमानत याचिका एनआईए कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिस पर निर्णय लिया गया।