क्या चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को निर्देशित किया है कि वे शपथ पत्र दें?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के आरोप चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
- भारत निर्वाचन आयोग ने शपथ पत्र देने की मांग की है।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मुद्दे गंभीर हैं।
- डिजिटल डेटा की अनुपलब्धता को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा उठाए गए धांधली के आरोपों पर भारत निर्वाचन आयोग ने फैक्ट चेक के माध्यम से प्रतिक्रिया दी है। ईसीआई फैक्ट चेक ने राहुल गांधी के बयानों को भ्रामक करार दिया है।
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि यदि राहुल गांधी को विश्वास है कि उनके आरोप सही हैं, तो उन्हें मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत घोषणा या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करके गुरुवार शाम तक महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करना चाहिए ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि राहुल गांधी अपनी बात पर विश्वास नहीं करते हैं, तो उन्हें गुमराह करने वाले बेतुके निष्कर्ष पर पहुंचना बंद कर देना चाहिए।
इससे पहले, राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि महाराष्ट्र में केवल 5 महीनों में जितने नए मतदाता जोड़े गए, उतने पिछले 5 वर्षों में भी नहीं जोड़े गए थे। कई क्षेत्रों में जो मतदाता जोड़े गए, वे उन इलाकों की कुल जनसंख्या से भी अधिक थे। मतदान में 5 बजे के बाद अचानक बड़ी वृद्धि हुई, लेकिन पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की कोई लंबी कतारें नहीं थीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट प्रदान करने से इनकार कर दिया। अगर हमारे पास सॉफ्ट कॉपी होती, तो हम डेटा को 30 सेकंड में एनालाइज कर सकते थे, लेकिन हमें कागज़ के लंबे बंडल मिले, जिन्हें पढ़ने और मिलाने में छह महीने लगे। एक विधानसभा सीट के लिए 30-40 लोगों की टीम ने दिन-रात काम किया। ईसी जानबूझकर ऐसा डेटा देता है, जिसे स्कैन करके पढ़ा न जा सके। ईसी ने सीसीटीवी फुटेज तक पहुंचने के नियम भी बदल दिए हैं। इसके साथ ही चुनाव आयोग डिजिटल डेटा देने से इनकार करता है। ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि कोई जांच न कर सके।