क्या चुनाव आयोग को मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) पर उठ रहे सवालों के जवाब देने चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग को एसआईआर पर स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
- डी. राजा की टिप्पणियाँ लोगों की चिंताओं को उजागर करती हैं।
- अवैध दस्तावेजों का मुद्दा गंभीर है।
- मुख्यमंत्रियों द्वारा उठाए गए सवाल महत्वपूर्ण हैं।
- समय पर जवाब न देने से स्थिति जटिल हो सकती है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाकपा महासचिव डी. राजा ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के संदर्भ में अपनी मंशा को स्पष्ट करना चाहिए। आयोग की कार्यप्रणाली के कारण लोगों के मन में एसआईआर को लेकर कई प्रकार के प्रश्न उत्पन्न हो रहे हैं।
डी. राजा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि निश्चित रूप से एसआईआर का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि कौन हिंदुस्तानी है और कौन नहीं? आखिर अवैध दस्तावेजों का सहारा लेकर कौन भारत में निवास कर रहा है? ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने के लिए ही एसआईआर प्रक्रिया आरंभ की गई है, लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर लोगों में कई सवाल उठ रहे हैं।
भाकपा महासचिव ने कहा कि वर्तमान समय में उठ रहे प्रश्नों से यह स्पष्ट होता है कि यदि समय पर इन सवालों के उत्तर नहीं दिए गए, तो स्थिति और जटिल हो सकती है।
डी. राजा ने कहा कि चुनाव आयोग ने कई राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया आरंभ कर दी है, लेकिन इन राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस पर सवाल उठा रहे हैं। इस प्रक्रिया की शुद्धता पर सवाल उठ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री तक इसे लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में यह अनिवार्य है कि इन सवालों के उत्तर सामने आएं, ताकि पूरी स्थिति स्पष्ट हो सके। मैं फिर से यह बात दोहराते हुए कहता हूं कि यदि चुनाव आयोग ने इन प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए, तो लोगों के मन में इसकी मंशा को लेकर संदेह उत्पन्न होगा। अब समय आ चुका है कि चुनाव आयोग अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करे, ताकि सभी पक्ष स्पष्ट हो सकें।