क्या सीएम हेमंत सोरेन ने दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि दी?

सारांश
Key Takeaways
- रामदास सोरेन का योगदान शिक्षा में महत्वपूर्ण था।
- मुख्यमंत्री ने शोक संवेदना व्यक्त की।
- उनका निधन राज्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
- उनकी पहचान जन अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में थी।
- उनका व्यक्तित्व सदैव प्रेरणादायक रहेगा।
जमशेदपुर, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को दिवंगत शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के जमशेदपुर स्थित निवास पर जाकर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने दिवंगत नेता की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी और शोकाकुल परिवार के सदस्यों को सांत्वना प्रदान की.
मुख्यमंत्री की पत्नी एवं गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त को नई दिल्ली स्थित एक अस्पताल में उपचार के दौरान हुआ था। उस दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिवंगत पिता शिबू सोरेन का श्राद्ध भी था और संथाली परंपरा के अनुसार उनका गांव छोड़कर जाना वर्जित था.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बाबा शिबू सोरेन के निधन के एक पखवाड़े के भीतर ही मंत्रिमंडलीय सहयोगी और झामुमो के प्रमुख नेता रामदास सोरेन का जाना उनके लिए असहनीय है। उन्होंने कहा, 'रामदास सोरेन मेरे बड़े भाई के समान थे। उनका निधन राज्य और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए अपूरणीय क्षति है। उनके असमय निधन से जो शून्यता आई है, उसकी भरपाई संभव नहीं.'
रामदास सोरेन के संघर्ष की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि उन्होंने जन अधिकारों के लिए जमीनी लड़ाई लड़ते हुए अपनी पहचान बनाई थी। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। वे सरल, सहज और जमीन से जुड़े नेता थे। अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा आम लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए खड़े रहे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा एवं स्कूली साक्षरता मंत्री रहते हुए रामदास सोरेन ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किए। उन्होंने सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने और गरीब बच्चों के समग्र विकास पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भले ही रामदास सोरेन आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व और कार्य सदैव ऊर्जा और प्रेरणा देते रहेंगे.