क्या तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन आज अस्पताल से छुट्टी लेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की हालत स्थिर है।
- उन्होंने अस्पताल से भी प्रशासनिक कार्य किए।
- कारगिल विजय दिवस पर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
- उंगलुदन स्टालिन पहल से जनता को लाभ मिल रहा है।
- स्वास्थ्य के बावजूद, उन्होंने कर्तव्यों का पालन किया।
चेन्नई, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन आज अस्पताल से छुट्टी लेने जा रहे हैं। इससे पहले, चेन्नई के अपोलो अस्पताल ने उनकी स्वास्थ्य स्थिति को स्थिर बताया था। सीएम स्टालिन ने 26 जुलाई की शाम एक्स पोस्ट में कहा था कि उनके आंदोलन के साथी स्थल पर कठिन मेहनत कर रहे हैं, और डॉक्टरों के सुझावों के बावजूद, उन्हें अस्पताल में आराम करने की इच्छा नहीं हो रही।
स्टालिन 21 जुलाई को अस्पताल में भर्ती हुए, जब सुबह टहलते समय उन्हें हल्का चक्कर महसूस हुआ था। इसके बाद, अपोलो अस्पताल में एंजियोग्राम सहित कई परीक्षण किए गए।
अपोलो अस्पताल के मेडिकल सर्विसेज निदेशक डॉ. अनिल बी.जी. ने बताया था कि मुख्यमंत्री को टहलते समय चक्कर आया, जिसके कारण उन्हें ग्रेम्स रोड
26 जुलाई को, स्टालिन ने कारगिल विजय दिवस पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि सैनिकों की अदम्य वीरता और बलिदान हमेशा देश के दिल में जीवित रहेगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर स्टालिन ने लिखा, "कारगिल विजय दिवस पर उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि, जिन्होंने अद्भुत साहस के साथ मातृभूमि की रक्षा की और अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।"
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने अस्पताल में रहते हुए भी अपने प्रशासनिक कार्यों को जारी रखने का निर्णय लिया था। 22 जुलाई को उन्होंने एक्स पर बताया कि वे अस्पताल से भी अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।
स्टालिन ने मुख्य सचिव को 'उंगलुदन स्टालिन' (आपके साथ स्टालिन) शिविरों की प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया। इन शिविरों में जनता की शिकायतों और उनके समाधान की स्थिति पर ध्यान देने को कहा गया। उन्होंने कहा कि समस्याओं के समाधान में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए।
'उंगलुदन स्टालिन' तमिलनाडु सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसके तहत लोगों की शिकायतों को सीधे सुना जाता है और उनका त्वरित समाधान किया जाता है। इन शिविरों में लोग अपनी समस्याओं के साथ आते हैं, जिन्हें संबंधित विभागों के माध्यम से हल करने का प्रयास किया जाता है।