क्या सीएम नायब सैनी ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल उठाया कि भूपेंद्र हुड्डा ने हस्ताक्षर नहीं किए?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल उठाए।
- भूपेंद्र हुड्डा के हस्ताक्षर न होने से कांग्रेस की स्थिति संदिग्ध हुई।
- सदन में स्वस्थ संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
चंड़ीगढ़, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को सदन का माहौल काफी गर्म रहा। कार्यवाही के दौरान कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपनी बात विस्तार से रखी।
उन्होंने कहा, "हालांकि यह परंपरा के अनुसार नहीं है कि चर्चा शुरू होने से पहले इस तरह अपनी बात रखी जाए, परंतु यह मामला गंभीर है, इसलिए मैं अध्यक्ष के सामने इसे रखना चाहूंगा।"
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कल का दिन सदन के लिए सामान्य नहीं था। उन्होंने बताया कि दोपहर 12.20 बजे से 12.35 बजे तक जो कुछ भी सदन में हुआ, उसे हरियाणा की जनता ने देखा और सुना। यह कोई स्वस्थ संवाद या सकारात्मक चर्चा नहीं थी, बल्कि कुछ और ही तस्वीर सामने आई। जब उन्होंने विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का स्वागत किया, तो हुड्डा साहब ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने कभी नहीं देखा कि किसी विपक्ष के नेता का इस तरह स्वागत हुआ हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने वक्तव्य के अंत में हुड्डा ने यह उम्मीद जताई थी कि विपक्ष की आवाज को दबाया नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मैंने खुद हुड्डा को आश्वासन दिया था कि लोकतंत्र में किसी की आवाज दबाने का सवाल नहीं उठता। हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है, और यही एक स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है।" उन्होंने याद दिलाया कि हुड्डा ने कहा था कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए।
नायब सैनी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, उस भावपूर्ण संवाद से हरियाणा की जनता के मन में इस सदन के रचनात्मक भविष्य के प्रति एक सकारात्मक संदेश गया था। लोगों को लगा था कि सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर जनता के हित में काम करेंगे। लेकिन, महज दो घंटे भी नहीं बीते थे कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गया। उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि इतनी अच्छी शुरुआत के बाद अचानक अविश्वास प्रस्ताव आ गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को ध्यान से पढ़ा। उन्होंने गौर किया कि उस पर विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हस्ताक्षर नहीं थे। पहले तो उन्हें लगा कि शायद उनकी नजर ठीक से नहीं पड़ रही है, लेकिन दोबारा देखने पर भी हुड्डा के हस्ताक्षर कहीं नजर नहीं आए।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि या तो विपक्ष के नेता खुद को विपक्ष का नेता मान नहीं रहे हैं या फिर कांग्रेस के अंदर कुछ और चल रहा है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा के स्वागत में एक शेर भी पढ़ा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय बाद जब कांग्रेस को विपक्ष का नेता मिला, तो यह एक बड़ा अवसर था।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के भीतर ही हुड्डा पर भरोसे की कमी दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात से जुड़े तथ्य भी हैं। उन्होंने पिछले बहसों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सदन में स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही विपक्ष का नेता मानती है।
नायब सैनी ने दोहराया कि सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही विपक्ष के नेता हैं। अगर कभी आपत्ति दर्ज की गई, तो वह खुद कांग्रेस के नेताओं की ओर से ही आई थी, सरकार की तरफ से नहीं।