क्या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एससी सलाहकार परिषद की पहली बैठक में दलित आवाज को दबाने का आरोप लगाया?

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क्या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एससी सलाहकार परिषद की पहली बैठक में दलित आवाज को दबाने का आरोप लगाया?

सारांश

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एससी सलाहकार परिषद की पहली बैठक में भेदभाव समाप्त करने की प्रतिज्ञा की। क्या यह दलित समुदाय के लिए बेहतर भविष्य की ओर पहला कदम है? जानिए इस महत्वपूर्ण बैठक के विषय में।

Key Takeaways

  • कांग्रेस ने भेदभाव समाप्त करने की प्रतिज्ञा की।
  • समानता लाने के लिए राज्य की जिम्मेदारी का उल्लेख।
  • दलितों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर।
  • शिक्षा को सशक्तिकरण का मुख्य माध्यम बताया।
  • सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए।

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस पार्टी की एससी सलाहकार परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाग लिया और अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर, उन्होंने भेदभाव को समाप्त करने की दृढ़ प्रतिज्ञा लोगों को दिलाई।

बैठक में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आज़ादी से पहले से ही समाज में फैले भेदभाव को समाप्त करने का संकल्प लिया है। पार्टी का मानना है कि समाज में समानता लाने की जिम्मेदारी राज्य की है, जिसके लिए दो महत्वपूर्ण कानून बनाए गए थे।

उन्होंने नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने अस्पृश्यता और इसके सभी रूपों को दंडनीय अपराध बनाया। इसके साथ ही, उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का भी जिक्र किया और कहा कि यह कानून दलितों पर अत्याचार को केवल अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय पर हमला मानता है।

खड़गे ने शिक्षा को दलित सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण साधन बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने शिक्षा को सामाजिक बराबरी का मार्ग मान लिया है। इसलिए, हमने पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, और एससी छात्रों के लिए हॉस्टल जैसी योजनाएँ बनाई हैं।

उन्होंने आगे बताया कि आज देश में लाखों एससी डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, अधिकारी और उद्यमी हैं, जिनकी यात्रा इन नीतियों से शुरू हुई।

खड़गे ने यह भी कहा कि दलितों की आवाज उठाने वालों पर हमले हुए हैं। चाहे वह रोहित वेमुलाभीमा-कोरेगांव

उन्होंने कहा कि जो अधिकार संविधान ने दिए हैं, उन्हें छीना जा रहा है। डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था: “किसी समाज की उन्नति का पैमाना यह है कि उसका सबसे कमजोर व्यक्ति कितना सुरक्षित है।”

खड़गे ने कहा कि वर्तमान में हालात बदल गए हैं। आरक्षणएससी/एसटी फैकल्टी की भर्ती में गिरावट, यह दर्शाती हैं कि मोदी सरकार उस संविधान को कमजोर कर रही है जिसकी नींव में सामाजिक न्याय है।

उन्होंने कहा कि मनुवादी मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह वही सरकार है जो कभी-कभी अपने दस्तावेज़ों, भाषणों और नीतियों में ऐसी सोच को बढ़ावा देती है, जो समानता नहीं, बल्कि भेदभाव को न्यायसंगत ठहराती है। हम इसे नहीं होने देंगे। हम बाबा साहेब के संविधान को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देंगे!

Point of View

यह बैठक निश्चित रूप से दलित समुदाय के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस का यह कदम न केवल भेदभाव के खिलाफ है, बल्कि यह समाज में समानता लाने का भी प्रयास है।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किस मुद्दे पर बात की?
उन्होंने भेदभाव और दलितों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया।
बैठक में कौन-कौन से कानूनों का उल्लेख किया गया?
नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का जिक्र किया गया।
दलितों के सशक्तिकरण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
शिक्षा और छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से दलितों को सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है।
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