क्या कांग्रेस के विज्ञापन में गांधी परिवार का न होना एक नए युग की शुरुआत है? : अजय आलोक

सारांश
Key Takeaways
- गांधी परिवार का विज्ञापन में न होना एक महत्वपूर्ण संकेत है।
- तेलंगाना सरकार का जातिगत जनगणना पर जोर।
- आरक्षण की सीमा बढ़ाने की योजना है।
- राजनीति में परिवर्तन की आवश्यकता।
- धर्म के बजाय जाति के आधार पर आरक्षण देने की नीति।
नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना सरकार ने जातिगत जनगणना से संबंधित एक विज्ञापन जारी किया है। इस विज्ञापन की टैगलाइन है ‘जितनी आबादी, उसका उतना हक’। दिलचस्प बात यह है कि इसमें गांधी परिवार के किसी सदस्य की तस्वीर नहीं है। न तो सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी की छवि है। विज्ञापन में केवल तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मुस्कुराती तस्वीर शामिल है। भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने इसे कांग्रेस के ‘नए युग का संकेत’ बताया है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर इस विज्ञापन को टैग करते हुए लिखा, "यह पहली बार है जब कांग्रेस सरकार के विज्ञापन में जातीय जनगणना पर 'राजमाता और युवराज' की तस्वीर गायब है। क्या यह कांग्रेस के नए युग का संकेत है??? यह विचार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा।"
तेलंगाना सरकार ने प्रमुख अखबारों में इस विज्ञापन को प्रकाशित किया है, जिसमें जाति जनगणना का महत्व उजागर किया गया है। विज्ञापन में कहा गया है कि 'जाति जनगणना, समान अधिकारों की नींव' है।
सरकार ने एक आंकड़े का उल्लेख करते हुए संकेत दिया है कि आरक्षण की सीमा 23 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत की जाएगी।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार 2024-25 के जाति सर्वेक्षण के आंकड़े विधानसभा में पेश करेगी, जिसमें सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा, "इसमें छिपाने के लिए कुछ नहीं है। मेरे पास आंकड़े हैं।"
जब मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की बात आई, तो उन्होंने कहा, "हम इसे धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि जाति के आधार पर लागू कर रहे हैं।"