क्या मतदाता पुनरीक्षण वोटिंग से वंचित करने की कोशिश है, सेक्युलर पार्टियों को होगा नुकसान?

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता पुनरीक्षण मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है।
- सेक्युलर पार्टियों को इस प्रक्रिया से नुकसान हो सकता है।
- चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं।
- कांवड़ यात्रा की गरिमा बनाए रखना आवश्यक है।
मुरादाबाद, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के नेता एवं पूर्व सांसद एसटी हसन ने शुक्रवार को 'मतदाता पुनरीक्षण' को मुस्लिम विरोधी करार दिया और चिंता जताई कि आवश्यक दस्तावेजों के अभाव में केवल मुस्लिम मतदाताओं को ही मतदान से वंचित किया जाएगा। इस स्थिति में सबसे बड़ा नुकसान मुस्लिम मतदाताओं का होगा।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मुस्लिम मतदाता मुख्यतः सेक्युलर पार्टियों को ही वोट देते हैं। ऐसे में यदि किसी राजनीतिक दल को नुकसान होगा, तो वह सेक्युलर पार्टियों का होगा। सांप्रदायिक पार्टियों के लिए यह कोई समस्या नहीं है, क्योंकि वे चुनाव जीतने के लिए साम, दाम, दंड, भेद का सहारा लेते हैं।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के नाम पर मतदाताओं के नाम हटाने को 'साजिश' कहा। इस पर एसटी हसन ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रही है। चुनाव आयोग का प्रयास केवल राजनीतिक स्थिति को भाजपा के पक्ष में करना है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
एसटी हसन ने हाल ही में रामपुर सहित अन्य स्थानों पर हुए उपचुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव आयोग की कार्यशैली पर प्रश्न उठ रहे हैं। अब चुनाव आयोग की विश्वसनीयता खतरे में है। उपचुनाव में कई लोगों को मतदान से रोका गया और अनेक के नाम भी गायब थे।
सावन में कांवड़ यात्रियों के हुड़दंग को लेकर सपा नेता ने कहा कि कांवड़ यात्रा हिंदुओं की पवित्र यात्रा है। इस अवसर पर हमारे हिंदू भाई अपने पालनहार की पूजा करते हैं। यदि कुछ लोग कांवड़ यात्रा की आड़ में हुड़दंग कर रहे हैं, तो उन्हें यह समझना चाहिए कि वे खुद को सरकारी मेहमान नहीं समझें। कांवड़ यात्रा की गरिमा को बनाए रखना चाहिए।