क्या राव नरेंद्र सिंह ने रेवाड़ी में बाजरा खरीद व्यवस्था का सही जायजा लिया?

सारांश
Key Takeaways
- बाजरा खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,775 रुपये है, लेकिन किसान केवल 1,600 रुपये में बेच रहे हैं।
- सरकार पर आरोप है कि वह खाद समय पर उपलब्ध नहीं करवा रही है।
- किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस का सक्रियता से कार्य करना आवश्यक है।
- कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है, जिससे आमजन परेशान हैं।
- राव नरेंद्र सिंह ने किसानों के हित में आवाज उठाई है।
रेवाड़ी, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा में कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने गुरुवार को रेवाड़ी की अनाज मंडी का दौरा किया, जहां उन्होंने बाजरा खरीद व्यवस्था का अवलोकन किया। इस मौके पर उन्होंने वर्तमान सरकार पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के अन्नदाता आज मजबूर हैं, क्योंकि 2,775 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वाले बाजरे को किसान केवल 1,600 रुपये में बेचने के लिए विवश हैं।
राव नरेंद्र सिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, “यदि बारिश के कारण बाजरे की गुणवत्ता में कमी आई है, तो सरकार को चाहिए कि वह किसानों को पूरा मुआवजा दे और उनका बाजरा निर्धारित समर्थन मूल्य 2,775 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद कर राहत प्रदान करे।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को समय पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं करा पा रही है और पुलिस की देखरेख में खाद वितरण कराना किसानों का अपमान है। इससे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। समय पर खाद नहीं मिलने से फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव की नाराजगी से जुड़े सवाल पर राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसी कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मुझे पार्टी हाईकमान और सभी वरिष्ठ नेताओं की सहमति से प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। हम सभी मिलकर संगठन को मजबूत करेंगे।”
वहीं, आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन सिंह की आत्महत्या के मामले पर उन्होंने गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि “यह एक बेहद दुखद घटना है। सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति निरंतर बिगड़ती जा रही है, जिससे आमजन भय के साए में जीने के लिए मजबूर हैं।”
राव नरेंद्र सिंह के इस दौरे को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा, वहीं स्थानीय किसानों ने भी बाजरा खरीद और मुआवजे को लेकर अपनी समस्याएं उनके सामने रखीं।