क्या सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना खुशी की बात है? संजय राउत

सारांश
Key Takeaways
- सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद के लिए चयन एक महत्वपूर्ण कदम है।
- संजय राउत ने वोट चोरी और चुनाव आयोग के घोटाले पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई।
- इस मुद्दे पर चर्चा से लोकतंत्र की मजबूती में मदद मिलेगी।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल एक पद का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है।
- निर्णय लेने में निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है।
मुंबई, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर अपनी खुशी व्यक्त की। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सीपी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। यदि केंद्र सरकार ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना है, तो निश्चित रूप से हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सीपी राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए तय हो चुका है और अब आगामी चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन की बैठक में पूरी योजना बनाई जाएगी। इससे पहले, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई बैठक में भी उपराष्ट्रपति पद पर चर्चा की गई थी। आज इस पर पुनः चर्चा होगी।
राउत ने यह भी कहा कि इस देश में उपराष्ट्रपति के अलावा कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन पर गहन चर्चा होनी चाहिए। वोट चोरी का मुद्दा बेहद गंभीर है, जिस पर बात किए बिना कोई भी समाधान नहीं निकल सकता।
उन्होंने याद दिलाया कि चुनाव आयोग का घोटाला और वोट चोरी देश में दो महत्वपूर्ण विषय हैं, जिन पर चर्चा जरूरी है। यदि समय रहते इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
सीईसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राउत ने कहा कि यह आवश्यक है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को निष्पक्षता बनाए रखना चाहिए। उसे कभी भी केंद्र सरकार का समर्थन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति देश के लोकतंत्र के लिए अनुकूल नहीं होगी। यही कारण है कि चुनाव आयोग कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से हलफनामा दाखिल करने के लिए कह रहा है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी वोटों की चिंता जताई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग अब उन पर भी हलफनामा दाखिल करने के लिए दबाव बनाएगा? लेकिन, इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।