क्या दैत्य सुदान मंदिर में भगवान विष्णु की लोहे की मूर्ति है और छत क्यों नहीं है?

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क्या दैत्य सुदान मंदिर में भगवान विष्णु की लोहे की मूर्ति है और छत क्यों नहीं है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि दैत्य सुदान मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति लोहे से बनी है? यह रहस्यमय मंदिर छत के बिना है और यहां की वास्तुकला अद्वितीय है। जानिए इस मंदिर की अनोखी विशेषताएँ और इसकी इतिहास के बारे में।

Key Takeaways

  • दैत्य सुदान मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति लोहे से बनी है।
  • मंदिर के गर्भगृह में कोई छत नहीं है।
  • सूर्य की रोशनी से मंदिर हमेशा रोशन रहता है।
  • इसकी वास्तुकला में महाभारत और रामायण के पात्रों के चित्र हैं।
  • यह मंदिर चालुक्य वंश के शासनकाल का है।

नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में भगवान विष्णु के कई प्रमुख मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। भगवान विष्णु के मंदिरों को आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के लोणार में भगवान विष्णु का एक अनोखा मंदिर है, जहां वे एक अद्वितीय रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर अपने रहस्य और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

लोणार में स्थित दैत्य सुदान मंदिर के निर्माण के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि आक्रमणकारियों के हमले के कारण इस मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया था। कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर की संरचना ऐसी है कि यह रहस्यमय प्रतीत होता है। सामान्यतः हर मंदिर में गुंबद या गोपुरम होता है, लेकिन इस मंदिर के गर्भगृह में छत नहीं है.

गर्भगृह में एक बड़ा गोल छेद है, जिससे आने वाली सूर्य की रोशनी पूरे मंदिर को रोशन करती है और यहाँ किसी प्रकार का अंधेरा नहीं रहता। खास मौकों पर सूर्य की रोशनी सीधा भगवान विष्णु के चरणों और मुख पर पड़ती है, जिससे मंदिर की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। यहाँ भगवान विष्णु एक विशेष रूप में एक दैत्य के ऊपर खड़े दिखाए गए हैं। उनकी मूर्ति काफी पुरानी है, लेकिन देखभाल के अभाव में दोनों की स्थिति बिगड़ चुकी है।

दिलचस्प बात यह है कि भगवान विष्णु की मूर्ति लोहे से बनी है, लेकिन देखने पर यह स्पष्ट नहीं होता जब तक कि इसे छुआ न जाए। दैत्य सुदान मंदिर की वास्तुकला भी अद्वितीय है, जहां दीवारों और खंभों पर महाभारत और रामायण के पात्रों के चित्र देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, कुछ हिस्सों में कामसूत्र की प्रतिमाएं भी हैं।

यह मंदिर चालुक्य वंश के शासनकाल से संबंधित है, जिसने छठी से बारहवीं शताब्दी के बीच मध्य और दक्षिण भारत पर शासन किया था। कहा जाता है कि मूल मूर्ति विलुप्त हो गई थी, जिसके बाद नागपुर के भोलसे शासकों ने भगवान विष्णु की नई मूर्ति का निर्माण कराया था।

Point of View

बल्कि इसकी वास्तुकला भी इसे एक अद्वितीय स्थल बनाती है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

दैत्य सुदान मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर महाराष्ट्र के लोणार में स्थित है।
क्या दैत्य सुदान मंदिर की मूर्ति लोहे से बनी है?
हाँ, भगवान विष्णु की मूर्ति लोहे से बनी है।
इस मंदिर में छत क्यों नहीं है?
इस मंदिर के गर्भगृह में छत नहीं है, बल्कि वहाँ एक गोल छेद है जिससे सूर्य की रोशनी आती है।
इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था?
इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के शासनकाल में हुआ था।
दैत्य सुदान मंदिर की वास्तुकला कैसी है?
इसकी वास्तुकला अद्वितीय है, जहां महाभारत और रामायण के पात्रों के चित्र दिखते हैं।
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