क्या रेणुकास्वामी हत्याकांड में अभिनेता दर्शन को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला?

सारांश
Key Takeaways
- दर्शन की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की।
- हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति।
- जेल में विशेष सुविधाओं पर सख्त चेतावनी।
- रेणुकास्वामी की हत्या के आरोप में दर्शन गिरफ्तार।
- मामला 2024 का है।
नई दिल्ली, १४ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रेणुकास्वामी हत्याकांड में कन्नड़ अभिनेता दर्शन की परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है क्योंकि कोर्ट ने गुरुवार को उनकी जमानत रद्द कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के दिसंबर २०२४ के उस निर्णय को पलट दिया है, जिसमें दर्शन और उनकी सह-अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा समेत सात अन्य आरोपियों को जमानत दी गई थी। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कर्नाटक सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि हाईकोर्ट ने जमानत देते समय ऐसा आदेश दिया जो सजा या बरी करने जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने यह भी कहा, “हाईकोर्ट का यह रवैया प्रथम दृष्टया न्यायिक शक्ति का दुरुपयोग है। निचली अदालत का जज ऐसी गलती करे, तो समझा जा सकता है, लेकिन हाईकोर्ट के जज से ऐसी भूल स्वीकार्य नहीं है।”
कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि यदि जेल में आरोपियों को विशेष सुविधाएं देने की शिकायतें आईं, तो जेल अधीक्षक और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला ९ जून २०२४ को बेंगलुरु के पट्टनगेरे गांव में हुई ३३ वर्षीय ऑटो चालक रेणुकास्वामी की हत्या से जुड़ा है। रेणुकास्वामी, जो दर्शन का प्रशंसक था, कथित तौर पर दर्शन की दोस्त पवित्रा गौड़ा को आपत्तिजनक संदेश भेज रहा था।
पुलिस के अनुसार, दर्शन के कहने पर रेणुकास्वामी का अपहरण किया गया, उसे तीन दिन तक एक शेड में यातना दी गई और फिर उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। उसका शव एक फ्लाईओवर पर पाया गया था। दर्शन को इस हत्या की जानकारी व्हाट्सएप पर दी गई थी।
दर्शन, उनकी सहयोगी पवित्रा गौड़ा और १५ अन्य लोगों को ११ जून २०२४ को चित्रदुर्गा के एक प्रशंसक रेणुकास्वामी के अपहरण और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दर्शन अपनी आगामी फिल्म 'डेविल' की शूटिंग में व्यस्त हैं और वर्तमान में थाईलैंड में हैं। २८ फरवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें देशभर में यात्रा करने की अनुमति दी थी, जबकि पहले यह आदेश बेंगलुरु तक सीमित था।