क्या दीपावली पर गमले में धनिया डालने का रहस्य समृद्धि से जुड़ा है?

सारांश
Key Takeaways
- धनिया का अंकुरण समृद्धि का प्रतीक है।
- यह औषधीय गुण रखता है।
- दीपावली पर यह परंपरा धन और सौभाग्य को आकर्षित करती है।
- यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है।
- धनिया पाचन और इम्युनिटी को बेहतर बनाता है।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली की रात जब जलते दीप अंधकार मिटाते हैं, तब कुछ घरों में एक और परंपरा का पालन किया जाता है। मिट्टी के गमले में धनिया के बीज डाले जाते हैं। हालांकि यह रस्म साधारण लगती है, लेकिन यह वास्तव में समृद्धि से जुड़ी एक गहरी परंपरा है।
धनिया शब्द संस्कृत के ‘धान्यकम्’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है अनाज या फसल। चिकित्सा ग्रंथों में इसे अन्न, औषधि और शुभता का प्रतीक माना गया है। धनतेरस के दिन जब लोग नया बर्तन, सोना या झाड़ू खरीदते हैं, उसी दिन धनिया भी खरीदा जाता है। कहा जाता है जैसे धनिया अंकुरित होता है, वैसे ही घर में धन और सौभाग्य बढ़ता है।
बीज बोना, विशेषकर शुभ मुहूर्त में, जीवन में नई शुरुआत और निरंतरता का प्रतीक है। दिवाली की रात देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के बाद गमले में धनिया डालना एक प्रतीकात्मक कर्म है। मिट्टी धरती मां का प्रतीक है, बीज संभावना का और अंकुरण उन्नति और शुभ फल का संकेत देता है।
इस कर्म के माध्यम से व्यक्ति अपने घर में अन्न, धन और स्वास्थ्य की निरंतरता की कामना करता है। लोकश्रुति के अनुसार जो व्यक्ति दिवाली की रात गमले में धनिया डालकर अगले सुबह जल अर्पित करता है, उसके घर में धन की धारा बनी रहती है।
यह परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, अपितु पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। धनिया एक औषधीय पौधा है, जो हवा को शुद्ध करता है, शरीर को ठंडक देता है और भोजन का स्वाद बढ़ाता है। मौसम के बदलाव का प्रभाव हमारे पाचनतंत्र पर पड़ता है, और ऐसे वक्त में धनिया की कीमत का अंदाजा लगाया जाता है। धनिया प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, मौसमी बीमारियों से बचाव, पाचन को बेहतर बनाने और त्वचा के लिए लाभकारी होता है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।