क्या जम्मू-कश्मीर उपचुनाव में भाजपा नेता सुनील शर्मा की रिकॉर्ड जीत होगी?

सारांश
Key Takeaways
- सुनील शर्मा का विश्वास - भाजपा दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी।
- महबूबा मुफ्ती की नकारात्मक राजनीति पर आलोचना।
- राज्यसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियाँ चल रही हैं।
- उमर अब्दुल्ला की सरकार पर वादे न निभाने का आरोप।
- जम्मू-कश्मीर में विकास के लिए सही कदम उठाने की आवश्यकता।
जम्मू, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू के त्रिकुटा नगर में स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने गुरुवार को नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक के बाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आगामी उपचुनाव को लेकर पार्टी कार्यालय में एक उच्च स्तरीय चर्चा हुई है।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले राज्यसभा चुनाव के संदर्भ में भी समीक्षा की गई है। जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जाएगी। हमें विश्वास है कि भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा चुनाव के साथ-साथ नगरोटा और बडगाम विधानसभा क्षेत्रों में भी शानदार जीत हासिल करेगी।
भाजपा नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा बुलडोजर बिल लाने की बात करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ऐसा बिल किसी भी परिस्थिति में विधानसभा में पारित नहीं होने दिया जाएगा। महबूबा मुफ्ती हमेशा नकारात्मक और विनाशकारी मानसिकता के साथ राजनीति करती आई हैं, लेकिन इस बार उनकी यह रणनीति सफल नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी को मुझे जवाब देने की आवश्यकता नहीं है। वे केवल नेशनल कॉन्फ्रेंस को खुश करने के लिए सरकार और भाजपा पर आरोप लगाते रहते हैं। मुझे अच्छी तरह पता है कि मुझे किसे जवाब देना है और जब आवश्यकता होगी, मैं जवाब भी दूंगा।
इससे पहले, भाजपा नेता ने कहा कि लोगों ने राज्य के विकास के लिए वोट दिया। लेकिन उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस केवल राज्य का दर्जा बढ़ाने की बात करते हैं।
उन्होंने उमर अब्दुल्ला की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 200 यूनिट मुफ्त बिजली, 12 रसोई गैस सिलेंडर, 10 किलो राशन और एक लाख नौकरियों का वादा कहां गया? स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, फिर भी उनके हर सवाल का जवाब सिर्फ राज्य का दर्जा है।
उन्होंने कहा कि अब तक 16 कैबिनेट बैठकें हो चुकी हैं और उपराज्यपाल द्वारा 97 फाइलों को मंजूरी दी जा चुकी है। सारी शक्तियां उनके पास हैं, फिर भी वे कार्रवाई करने में नाकाम हैं। उनके पास अधिकारियों, इंजीनियरों और अफसरों की नियुक्ति का अधिकार है, लेकिन पद खाली पड़े हैं। उमर अब्दुल्ला को राज्य के दर्जे की बात करने से पहले अपने वादों को पूरा करना चाहिए। अगर वह इसी तरह से राज्य के दर्जे की बात करते हैं, जहां लोगों को तकलीफ होती है और शासन ठप हो जाता है, तो जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य का दर्जा नहीं चाहता।