क्या दिल्ली में सीएम रेखा गुप्ता ने नंगली डेयरी में बायोगैस संयंत्र का उद्घाटन किया?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में पहला बड़ा बायोगैस संयंत्र स्थापित किया गया है।
- यह संयंत्र रोजाना 200 टन कचरा प्रोसेस करता है।
- 5,600 किलोग्राम सीएनजी गैस का उत्पादन होता है।
- यह पर्यावरण के लिए लाभकारी पहल है।
- भविष्य में ऐसे और संयंत्रों की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शनिवार को नंगली डेयरी में राष्ट्रीय राजधानी के पहले बड़े पैमाने पर बायोगैस संयंत्र का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे 'गौरव का क्षण' बताया और कहा कि शहर में गोबर और नगरपालिका कचरे को प्रोसेस करने के लिए इस प्रकार की कई और सुविधाओं की आवश्यकता है।
यह संयंत्र हर दिन 200 टन कचरे या गोबर को प्रोसेस करता है और 5,600 किलोग्राम सीएनजी गैस बनाता है, जिसे मौजूदा समझौते के तहत एक पाइपलाइन के माध्यम से इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड को सप्लाई किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह रोजाना 30 टन कम्पोस्ट भी बनाता है, जिसे किसानों में वितरित किया जाएगा।
माटियाला विधानसभा क्षेत्र के नंगली डेयरी इलाके में स्थित इस बायोगैस संयंत्र का उद्घाटन कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। उनके साथ दिल्ली के मंत्री आशीष सूद भी उपस्थित रहे। इसके अलावा, एमसीडी मेयर राजा इकबाल सिंह, भाजपा सांसद कमलजीत सेहरावत, विधायक संदीप सेहरावत, डीएम एम चैतन्य, एसडीएम, एडीएम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जुबानी हमला करते हुए कहा कि इस संयंत्र का कार्य 2018 में प्रारंभ हुआ था, लेकिन पिछली सरकार के कार्यकाल में इसे पूरा नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद, इसे 2025 में शीघ्र ही पूरा कर जनता को सौंपने का निर्णय लिया गया। जब लोगों ने केजरीवाल से देरी के बारे में पूछा, तो उन्होंने मोदी पर इसे रोकने का आरोप लगाया। लेकिन वास्तविकता यह है कि उनके पास काम करने का कोई इरादा ही नहीं था।
गुप्ता ने इस प्रोजेक्ट के पर्यावरण संबंधी फायदों पर जोर देते हुए कहा कि यह संयंत्र न केवल नालों की सफाई और यमुना में प्रदूषण कम करने में मदद करेगा, बल्कि इससे ग्रीन एनर्जी और राजस्व भी प्राप्त होगा। दिल्ली में हर दिन लगभग 1,500 मीट्रिक टन गोबर उत्पन्न होता है और एक संयंत्र इससे पर्याप्त नहीं है। भविष्य में शहर को ऐसे और भी कई संयंत्रों की आवश्यकता होगी।
यह संयंत्र रोजाना 200 टन कचरे को प्रोसेस करता है और किसानों के लिए खाद भी बनाएगा। यह पहल पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी है और एक स्वच्छ एवं हरित दिल्ली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।