क्या दिल्ली ब्लास्ट मामले में अल फलाह यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी की न्यायिक हिरासत 20 दिसंबर तक बढ़ी?
सारांश
Key Takeaways
- जावेद अहमद सिद्दीकी की न्यायिक हिरासत 20 दिसंबर तक बढ़ी।
- गंभीरता के कारण अदालत ने निर्णय लिया।
- जांच एजेंसियां वित्तीय लेन-देन की कर रही हैं जांच।
- दिल्ली में विस्फोट ने पूरे देश में दहशत फैलाई।
- चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली ब्लास्ट मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) केस में अल फलाह यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी की न्यायिक हिरासत को साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। अदालत ने यह निर्णय मामले की गंभीरता और जांच की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया।
जावेद अहमद सिद्दीकी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं और प्रवर्तन एजेंसियां उनके वित्तीय लेन-देन की गहन जांच कर रही हैं।
साकेत कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने हिरासत की अवधि बढ़ाने की प्रार्थना की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच अभी जारी है और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाना आवश्यक है।
इससे पहले 12 दिसंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने चार आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया था। इन चारों में डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद और आदिल अहमद शामिल थे।
एनआईए ने अदालत को बताया कि आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर नबी, आदिल अहमद, डॉ. शाहीन सईद, मुफ्ती इरफान और इरफान अहमद मिलकर एक बड़ी साजिश रच रहे थे। एजेंसी के अनुसार, इस मॉड्यूल का उद्देश्य राजधानी दिल्ली में बड़े पैमाने पर अशांति फैलाना और संवेदनशील क्षेत्रों को निशाना बनाना था।
जांच में यह भी सामने आया है कि कार में हुए विस्फोट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी था। चारों मुख्य आरोपियों को एनआईए की हिरासत समाप्त होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था।
गौरतलब है कि 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए भीषण विस्फोट से पूरे देश में दहशत फैल गई थी। शाम लगभग 6:52 बजे एक उच्च ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी सफेद हुंडई आई20 कार में जोरदार धमाका हुआ था। इस हमले में कई लोगों की जान गई थी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जांच एजेंसियां इस साजिश से जुड़े सभी पहलुओं की गहन जांच में जुटी हुई हैं।