क्या 'उदयपुर फाइल्स' मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई 8 अगस्त तक टलेगी?

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क्या 'उदयपुर फाइल्स' मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई 8 अगस्त तक टलेगी?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की सुनवाई 8 अगस्त तक टाल दी है। इस मामले में आरोपी जावेद ने अपनी वकील मेनका गुरुस्वामी के माध्यम से तर्क दिया है कि फिल्म के कारण उनके मुवक्किल के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर खतरा है। क्या यह फिल्म विवाद का विषय बनेगी?

Key Takeaways

  • फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है।
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई को 8 अगस्त तक टाल दिया है।
  • मामले में आरोपी जावेद की वकील मेनका गुरुस्वामी हैं।
  • फिल्म के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
  • केंद्र सरकार पर आरोप है कि उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुनवाई हुई। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अगुवाई वाली बेंच ने की। इस मामले में आरोपी जावेद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने पक्ष रखा, जबकि फिल्म निर्माता की ओर से वकील गौरव भाटिया ने दलीलें पेश कीं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी。

फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' उदयपुर में 2022 में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है। इस हत्याकांड में मोहम्मद रियाज अत्तारी और मोहम्मद गौस को आरोपी बनाया गया था, जिन्होंने कथित तौर पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में हत्या को अंजाम दिया था। फिल्म के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और हत्याकांड के एक आरोपी मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की है। उनका दावा है कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय को बदनाम करती है और चल रहे मुकदमे को प्रभावित कर सकती है।

सुनवाई के दौरान कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद की वकील मेनका गुरुस्वामी ने तर्क दिया कि इस मामले में अभी 160 गवाहों की जांच बाकी है और उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी के समय उम्र केवल 19 साल थी।

उन्होंने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत इसलिए दी क्योंकि उन पर लगे आरोपों के बीच कोई ठोस संबंध स्थापित नहीं हुआ था, लेकिन फिल्म की रिलीज से उनके मुवक्किल के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर खतरा मंडरा रहा है।

वकील वरुण सिन्हा के मुताबिक, गुरुस्वामी ने बताया कि फिल्म निर्माता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फिल्म का कथानक आरोपपत्र पर आधारित है और संवाद सीधे आरोपपत्र से लिए गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी, जिसमें सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के वकील कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देंगे।

सुनवाई में गुरुस्वामी ने कहा कि वर्तमान कानून तीन प्रकार की पुनरीक्षण शक्तियों का प्रावधान करता है। इनका उपयोग केंद्र सरकार कर सकती है। एक शक्ति धारा 2ए में है। सरकार कह सकती है कि फिल्म का प्रसारण नहीं किया जा सकता। दूसरा, वे प्रमाणन बदल सकते हैं और तीसरा, वे इसे निलंबित कर सकते हैं। मगर प्रावधान में केंद्र सरकार को फिल्म कट सुझाना, संवाद हटाना, अस्वीकरण जोड़ना, सेंसर बोर्ड जैसे अस्वीकरणों में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि न्यायालय की प्रक्रिया में सभी पक्षों को सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 'उदयपुर फाइल्स' जैसे मुद्दे समाज में संवेदनशीलता पैदा कर सकते हैं, लेकिन न्याय की प्रक्रिया का सम्मान करना हमारे लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
NationPress
31/07/2025

Frequently Asked Questions

फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' किस पर आधारित है?
यह फिल्म 2022 में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है।
दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई कब होगी?
दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
इस मामले में कौन-कौन से वकील हैं?
आरोपी जावेद की वकील मेनका गुरुस्वामी और फिल्म निर्माता की ओर से गौरव भाटिया हैं।
क्या फिल्म के खिलाफ कोई याचिका दायर की गई है?
हाँ, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और आरोपी मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की है।
केंद्र सरकार ने किस तरह की शक्तियों का दुरुपयोग किया है?
केंद्र सरकार ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का दुरुपयोग किया है।