क्या लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की?

सारांश
Key Takeaways
- ओम बिरला और सीपी राधाकृष्णन के बीच संवाद से राष्ट्रीय नीति में सुधार की संभावना है।
- बैठक ने प्रशासनिक सहयोग को दर्शाया है।
- उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का चुनाव देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की। यह महत्वपूर्ण मुलाकात उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में संपन्न हुई।
उपराष्ट्रपति कार्यालय ने इस बैठक की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए साझा की। उन्होंने उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष की मुलाकात की एक तस्वीर भी पोस्ट की।
उपराष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स प्लेटफॉर्म पर बताया, "लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने आज उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में मुलाकात की।"
इससे पहले, 28 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की थी। इस बात की जानकारी भी उपराष्ट्रपति कार्यालय के आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट के माध्यम से दी गई।
उपराष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट में लिखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और उनके साथ कई मुद्दों पर गहन चर्चा की।"
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, अनुप्रिया पटेल और प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने उपराष्ट्रपति को मंत्रालयों की उपलब्धियों और योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित सीपी राधाकृष्णन ने 12 सितंबर को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। यह शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में दिलाई थी।
67 वर्षीय राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा देने के कारण इस चुनाव का आयोजन अनिवार्य था। यह इसलिए आवश्यक था क्योंकि अगले उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है।