क्या मनजिंदर सिंह सिरसा ने डीपीसीसी के कार्यालय का दौरा करके वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- निर्माण गतिविधियों की सघन निगरानी आवश्यक है।
- डीपीसीसी के डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
- निर्माण स्थलों पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
- दिल्ली की हवा को साफ रखने का उद्देश्य महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कठोर कदम उठा रही है। इसी संदर्भ में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के कार्यालय का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों, फील्ड अधिकारियों और इंजीनियरों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक में निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न धूल प्रदूषण की निगरानी और आवश्यक कार्रवाई की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक के दौरान मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में प्रदूषण नियंत्रण हेतु हमने जमीनी स्तर पर एक व्यापक अभियान आरंभ किया है। बिना पंजीकरण के चल रही निर्माण गतिविधियों की गहन निगरानी की जा रही है। सभी परियोजनाओं को डीपीसीसी के ‘डस्ट पोर्टल’ पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है।”
बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि ३३ फील्ड टीमों द्वारा अब तक १८५ निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया जा चुका है और ३० अक्टूबर तक ५०० से अधिक साइटों की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिन स्थलों ने अभी तक पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराया है, उन्हें नोटिस जारी कर तत्काल काम रोकने और पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा, मंत्री ने कार्यालय से संबंधित कार्यों और फाइलों का ब्यौरा लिया और कुछ तकनीकी खामियों पर तत्क्षण सुधार के निर्देश दिए। साथ ही, डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने के भी निर्देश दिए। सभी विभागों को फील्ड स्तर पर कार्य में तेजी लाने, कचरा प्रबंधन को मजबूत करने और प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए।
सिरसा ने यह भी स्पष्ट किया, “हमारा उद्देश्य निर्माण कार्य को रोकना नहीं बल्कि प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों को नियंत्रित करना है। दिल्ली में हर निर्माण परियोजना की निगरानी हमारे पास होनी चाहिए ताकि प्रदूषण फैलाने वालों पर समय पर कार्रवाई हो सके।”
डीपीसीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिन परियोजनाओं ने पंजीकरण नहीं कराया है, उन पर १ लाख से ५ लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सिरसा ने निर्देश दिया कि जो भी निर्माण इकाइयां डीपीसीसी पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं, उनके खिलाफ कार्य रोकने तथा पर्यावरण मुआवजे के तहत कठोर कार्रवाई की जाए। यदि किसी साइट पर ग्रैप चरण के दौरान उल्लंघन पाया गया, तो यह दंड दोगुना होगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी विभाग—एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, डीएमआरसी और अन्य निर्माण एजेंसियां—अपने-अपने निर्माण स्थलों का डेटा साझा करें ताकि एकीकृत पोर्टल पर निगरानी करना आसान हो सके।
मंत्री सिरसा ने प्रदूषण निगरानी के लिए एक विशेष टीम गठित करने और आधुनिक उपकरणों की संख्या बढ़ाने के आदेश दिए। पर्यावरण मंत्री ने आगे कहा, “हमारा ध्यान सिर्फ एक बात पर है कि दिल्ली की हवा साफ रहे। पिछले कुछ दिनों में दीपावली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में लगातार सुधार हुआ है। अब इसे स्थायी सुधार में बदलना हमारी जिम्मेदारी है।”
ग्रैप नियमों के तहत पिछले २४ घंटे में हुई जमीनी कार्रवाई के ब्योरे के अनुसार, रोड डस्ट नियंत्रण के लिए ३७६ एंटी-स्मॉग गन, २६६ वाटर स्प्रिंकलर्स, और ९१ रोड स्वीपिंग मशीनें संचालित की गईं, और लगभग ३००० किमी रोड साफ की गई। अवैध कचरा डंपिंग के ३११ निरीक्षण और १७३ कार्रवाई की गई। वाहनों पर पीयूसी सर्टिफिकेट न होने पर ३७१७ चालान और प्रदूषण फैलाने वाले ३१ वाहनों पर चालान किए गए। ऑनलाइन सोशल मीडिया पर दर्ज ५७३ शिकायतों का समाधान किया गया। ३५ जाम प्वाइंट्स डिकंजेस्ट किए गए।